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धर्म-अध्यात्म
बच्चे के नामकरण के समय भूल कर भी न करे ये गलती, इन बातों का रखे ध्यान
Manish Sahu
17 July 2023 10:36 AM GMT
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धर्म अध्यात्म: हिंदू शास्त्रों में 16 संस्कारों में से एक महत्वपूर्ण संस्कार नामकरण या नामकरण संस्कार भी है. भारत में ये एक बहुत ही महत्वपूर्ण परंपरा है. इस परंपरा के दौरान नवजात बच्चे का नामकरण विधिविधान के साथ किया जाता है. बता दें कि नामकरण आमतौर पर किसी बच्चे के जन्म के बाद पहला बड़ा समारोह होता है. हिंदी में नामकरण का शाब्दिक अर्थ है "नाम बनाना", यानी वह दिन जब नवजात शिशु को कोई नाम दिया जाता है.
जानें कब किया जाता है नामकरण संस्कार
भारत के कुछ हिस्सों में, यह बारहवें दिन आयोजित किया जाता है, लेकिन यह बच्चे के पहले जन्मदिन से पहले कभी भी किया जा सकता है. भारत के कुछ हिस्सों में, लड़कियों के लिए यह तीसरे या पांचवें या सातवें या नौवें महीने में और लड़कों के लिए छठे या आठवें महीने में किया जाता है. शास्त्रों के अनुसार नामकरण संस्कार सोमवार, गुरुवार और शुक्रवार के दिन करना शुभ माना जाता है. वहीं अमावस्या, चतुर्थी या अष्टमी तिथि के दिन नामकरण संस्कार नहीं करना चाहिए, यह दिन अशुभ मानें जाते हैं.
नामकरण संस्कार की विधि
एक पुजारी को आमतौर पर धार्मिक संस्कार या पूजा करने के लिए बुलाया जाता है. इस अवसर पर हवन होता है, बच्चे को नहलाया जाता है और नए कपड़े पहनाए जाते हैं. नवजात शिशु को आशीर्वाद देने के लिए दोस्तों और रिश्तेदारों को आमंत्रित किया जाता है. इस दिन शिशु की कुंडली भी बनाई जाती है. अगर माता-पिता ने कोई नाम तय कर लिया है, तो परिवार के किसी बुजुर्ग द्वारा यह नाम बच्चे के कान में फुसफुसाया जाता है.
बच्चे का नाम रखते वक्त ध्यान रखें ये बात
कई बार माता-पिता कुछ अलग नाम करने के चक्कर में कुछ ऐसा नाम रख देते हैं, जिसका कोई अर्थ नहीं होता. लेकिन हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बिना अर्थ के नाम का कोई भी महत्व नहीं होता है. आप जो भी नाम रखें उसका कोई अच्छा अर्थ होना जरूरी है. क्योंकि नाम के अर्थ का प्रभाव हमारे व्यक्तित्व पर भी पड़ता है. ऐसे में बहुत ज़रूरी है कि आप सोच-समझकर कोई नाम रखें. आप चाहें तो देवी-देवताओं के नाम पर उनका नाम रख सकते हैं.
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