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astrology news : मंगलवार की शाम करें ये एक काम, दूर हो जाएगी आर्थिक परेशानी
ज्योतिष न्यूज़ :आज मंगलवार हनुमान पूजा है. इस दिन भक्त विधिपूर्वक हनुमान जी की पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं।मान्यता है कि ऐसा करने से लाभ मिलता है लेकिन इसी के साथ ही अगर आज के दिन संध्याकाल में राम भक्त हनुमान की पूजा कर ऋण मोचन मंगल स्तोत्र का सच्चे मन …
ज्योतिष न्यूज़ :आज मंगलवार हनुमान पूजा है. इस दिन भक्त विधिपूर्वक हनुमान जी की पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं।मान्यता है कि ऐसा करने से लाभ मिलता है
लेकिन इसी के साथ ही अगर आज के दिन संध्याकाल में राम भक्त हनुमान की पूजा कर ऋण मोचन मंगल स्तोत्र का सच्चे मन से पाठ किया जाए आज हम आपके लिए लाए हैं ये चमत्कारी पाठ जिससे जीवन की सारी चिंताएं दूर हो जाएंगी और आपको आर्थिक संकट और कर्ज से भी मुक्ति मिल जाएगी।
।।श्री हनुमान स्तोत्र।।
"वन्दे सिन्दूरवर्णाभं लोहिताम्बरभूषितम्।रक्ताङ्गरागशोभाढ्यं शोणापुच्छं कपीश्वरम्॥
सुशांकितम् सुकान्तभुक्तवन् नमस्ते हितम्। विटाली और उसका बेटा।
भजे समीरनन्दनं, सुभक्तचित्तरञ्जनं, दिनेशरूपभक्षकं, समस्तभक्तरक्षकम्।
सुकण्ठकार्यसाधकं, विपक्षपक्षबाधकं, समुद्रपारगामिनं, नमामि सिद्धकामिनम्॥१॥
सुशांकितं सुकान्तभुक्त्वान हेलो हितं वचस्तुअमशु धीरियमश्रयत्र एवं बयं कदपि न।
इति प्लवङ्गनाथभाषितं निशम्य वानराऽधिनाथ आप शं तदा, स रामदूत आश्रयः ॥ २॥
सुदीर्घबाहुलोचनेन, पुच्छगुच्छशोभिना, भुजद्वयेन सोदरीं निजांसयुग्ममास्थितौ।
कृतौ हि कोसलाधिपौ, कपिश्राजसन्निधौ, विदहजेशलक्ष्मणौ, स मे शिवं करोत्वरम्॥3॥
सुशब्दशास्त्रपारगं, विलोक्य रामचन्द्रमाः, कपीश नाथसेवकं, समस्तनीतिमार्गगम्।
प्रशस्य लक्ष्मणं प्रति, प्रलम्बबाहुभूषितः कपीन्द्रसख्यमाकरोत्, स्वकार्यसाधकः प्रभुः॥४॥
प्रचण्डवेगधारिणं, नगेन्द्रगर्वहारिणं, फणीशमातृगर्वहृद्दृशास्यवासनाशकृत्।
विभीषणेन सख्यकृद्विदेह जातितापहृत्, सुकण्ठकार्यसाधकं, नमामि यातुधतकम्॥५॥
नमामि पुष्पमौलिनं, सुवर्णवर्णधारिणं गदायुधेन भूषितं, किरीटकुण्डलान्वितम्।
सुपुच्छगुच्छतुच्छलंकदाहकं सुनायकं विपक्षपक्षराक्षसेन्द्र-सर्ववंशनाशकम्॥६॥
रघूत्तमस्य सेवकं नमामि लक्ष्मणप्रियं दिनेशवंशभूषणस्य मुद्रीकाप्रदर्शकम्।
विदेहजातिशोकतापहारिणम् प्रहारिणम् सुसूक्ष्मरूपधारिणं नमामि दीर्घरूपिणम्॥७॥
नवस्वदतमजं वस्वत तिव्या कृत महासह यता यया देवयोर्हितं हिबेत्स्वकृत्य।
सुकान्त एपी तारकं राघोतमु विदेजन निपतिया वालिनं प्रभुस्तु दश्नानाखलम्। आठवां.
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प्लवङ्गराजसत्कृपाकताक्षभाजनस्सदा न शत्रुतो भयं भवेत्कदापि तस्य नुस्त्विह॥९॥
नेत्राङ्गनन्दधरणीवत्सरेऽनङ्गवासरे। लोकेश्वराख्यभट्टेन हनुमत्ताण्डवं कृतम् ॥ १०॥
ॐ इति श्री हनुमत्ताण्डव स्तोत्रम्"॥