धर्म-अध्यात्म

आचार्य चाणक्य : नाग से भी बुरा होता है इस स्वभाव के व्यक्ति

Ritisha Jaiswal
7 Jun 2021 2:07 PM GMT
आचार्य चाणक्य : नाग से भी बुरा होता है इस स्वभाव के व्यक्ति
x
आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार में आचार्य चाणक्य ने बताया है कि काले मन वाला काले नाग से भी बुरा होता है।

काले मन वाला काले नाग से भी बुरा होता है।' आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है कि जिस व्यक्ति का मन काला होता है वो सांप से भी ज्यादा खतरनाक होता है। यहां पर व्यक्ति के काले मन के होने का अर्थ है कि उसके विचार अच्छे ना हो। ऐसा व्यक्ति ना तो किसी के बारे में अच्छा सोचता है और ना ही किसी का अच्छा होता हुआ देख सकता है। इस तरह के व्यक्ति से बचना ही आपके लिए अच्छा है।
असल जिंदगी में मनुष्य का आमना सामना ऐसे कई लोगों से होता है जो सामने से तो अच्छा बर्ताव करते हैं। लेकिन पीठ पीछे ही आपके बारे में बुरा सोचते हैं। ये लोग दूसरों के बारे में अपने मन में बैर पालते हैं। हालांकि कई बार इस बैर की कोई वजह ही नहीं होती। लेकिन उनका स्वभाव दूसरों के अंदर कुछ ना कुछ कमी निकालना होता है। ऐसे लोगों के मन में हमेशा ये रहता है कि सामने वाला का कैसे कुछ बुरा हो। इसके उलट अगर सामने वाला का कुछ अच्छा होता है तो ऐसे लोग बिल्कुल भी अच्छा महसूस नहीं करते। उनके मन में दूसरों के बारे में षड़यंत्र चलता रहता है।
आचार्य चाणक्य का कहना है कि ऐसे लोग सांप से भी ज्यादा खतरनाक होते हैं। सांप किसी भी व्यक्ति पर तब तक हमला नहीं करता जब तक उसे किसी से खतरा ना हो। इसी वजह से आचार्य चाणक्य ने कहा है कि काले मन वाला काले नाग से भी बुरा होता है।





Next Story