धर्म-अध्यात्म

राशि के अनुसार जपें शिव का मंत्र, मिलेगा साधना का उचित फल

Tara Tandi
20 July 2021 10:58 AM GMT
राशि के अनुसार जपें शिव का मंत्र, मिलेगा साधना का उचित फल
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भक्ति के साथ जाप करने पर भगवान शिव की कृपा बरसने लगती है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | भगवान शिव की पूजा के लिए सबसे पावन माने जाने वाला श्रावण मास 25 जुलाई 2021 से प्रारंभ होकर 22 अगस्त 2021 तक रहेगा. मान्यता है कि सावन के महीने में भगवान शिव एवं माता पार्वती पूरी पृथ्वी का भ्रमण करते हैं और अपने साधकों की मनोकामनाओं को पूरा होने का आशीर्वाद प्रदान करते हैं. यही कारण है कि कोई शिव भक्त लंबी यात्रा करके भगवान शिव को अर्पित करने के लिए गंगा जल लेने जाता है तो कोई मंत्र जप के माध्यम से उउनकी कृपा पाने का प्रयास करता है. आइए जानते हैं कि 12 राशियों से जुड़े वो मंत्र जिनका श्रद्धा एवं भक्ति के साथ जाप करने पर भगवान शिव की कृपा बरसने लगती है –

मेष राशि का शिव मंत्र – 'ॐ नम: शिवाय' मंत्र का जप करें.

वृष राशि का शिव मंत्र – वृष राशि के जातक 'ॐ नागेश्वराय नमः' का जप करें.

मिथुन राशि का शिव मंत्र – 'ॐ नम: शिवाय कालं महाकाल कालं कृपालं ॐ नम:' मंत्र का जप करें.

कर्क राशि का शिव मंत्र – 'ॐ चंद्रमौलेश्वर नम:' मंत्र का जाप करें.

सिंह राशि का शिव मंत्र – 'ॐ नम: शिवाय कालं महाकाल कालं कृपालं ॐ नम:' मंत्र का जाप करें.

कन्या राशि का शिव मंत्र – 'ॐ नमो शिवाय कालं ॐ नम:' मंत्र का जप करें.

वृश्चिक राशि – 'ॐ हौम ॐ जूँ स:' मंत्र का जप विशेष रूप से करें.

धनु राशि का शिव मंत्र – 'ॐ नमो शिवाय गुरु देवाय नम:' मंत्र का जप करें.

मकर राशि का शिव मंत्र – 'ॐ हौम ॐ जूँ स:' मंत्र का जप करें.

कुंभ राशि का शिव मंत्र – 'ॐ हौम ॐ जूँ स:' मंत्र का जप करें.

मीन राशि का शिव मंत्र – 'ॐ नमो शिवाय गुरु देवाय नम:' मंत्र का जप करें.

कैसे जपें भगवान शिव का मंत्र

श्रावण मास में भोले भंडारी के मंत्र जप को करने के लिए प्रात:काल स्नान–ध्यान से निवृत्त होकर शिवलिंग की गंगाजल, बेलपत्र या शमी पत्र, फल–फूल आदि से यथा संभव पूजा करें. इसके पश्चात् एक पवित्र आसन पर बैठकर रुद्राक्ष की माला से अपनी राशि के अनुसार मंत्र का जप करें. मंत्र जप करते समय रुद्राक्ष की माला को गोमुखी में छिपाकर रखें और मंत्र का जप अपने मन में करें.

राशि न ज्ञात होने पर जपें यह मंत्र

यदि आपको अपनी राशि ठीक से ज्ञात न हो तो आप पूरे माह द्वादश ज्योतिर्लिंग का पाठ श्रद्धा एवं विश्वास के साथ करें.

सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।

उज्जयिन्यां महाकालमोंकारं ममलेश्वरम्‌ ॥

परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमाशंकरम्।

सेतुबंधे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥

वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यंबकं गौतमीतटे।

हिमालये तु केदारम् घुश्मेशं च शिवालये॥

एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः।

सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति॥

(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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