धर्म-अध्यात्म

आषाढ़ विनायक चतुर्थी पर बन रहा है एक विशेष योग

Apurva Srivastav
21 Jun 2023 6:10 PM GMT
आषाढ़ विनायक चतुर्थी पर बन रहा है एक विशेष योग
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हिंदू धर्म में विनायक चतुर्थी का विशेष महत्व माना गया है. हर महीने पड़ने वाली विनायक चतुर्थी (Ashadha Vinayaka Chaturthi 2023) तिथि भगवान गणेश को समर्पित है. आषाढ़ माह की विनायक चतुर्थी 22 जून 2023 को है. इस दिन विधि-विधान से भगवान गणेश की पूजा करना बहुत ही शुभ माना गया है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से ज्ञान और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. आपको बता दें कि गणेश चतुर्थी का व्रत रखने से जातकों के सभी कष्ट मिट जाते हैं. विनायक चतुर्थी (Ashadha Vinayaka Chaturthi 2023) के दिन गौरी पुत्र गणेश की विधि-विधान के साथ पूजा करने से सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. ऐसे में चलिए जानते हैं विनायक चतुर्थी के बारे में विस्तार से.
कब है आषाढ़ विनायक चतुर्थी 2023 ?
आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी (Ashadha Vinayaka Chaturthi 2023) तिथि की शुरुआत 21 जून बुधवार को दोपहर 03 बजकर 09 मिनट से हो रही है. इसका समापन 22 जून गुरुवार को शाम 05 बजकर 27 मिनट पर होगा. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, आषाढ़ विनायक चतुर्थी का व्रत 22 जून को रखा जाने वाला है.
आषाढ़ विनायक चतुर्थी 2023 का शुभ मुहूर्त और योग
विनायक चतुर्थी (Ashadha Vinayaka Chaturthi 2023) की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 59 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 47 मिनट तक रहने वाला है. इस दौरान लाभ-उन्नति मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 23 मिनट से दोपहर 02 बजकर 08 मिनट तक रहने वाला है. इस मुहूर्त में पूजा पाठ करना बहुत ही उत्तम माना जाता है. आपको बता दें कि आषाढ़ विनायक चतुर्थी के दिन रवि योग बन रहा है. यह योग शाम को 06 बजकर 01 मिनट से शुरू होकर अगले दिन सुबह 04 बजकर 18 मिनट रहने वाला है.
विनायक चतुर्थी पर पूजा कैसे करें?
1- विनायक चतुर्थी के अवसर पर हमें सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करना चाहिए.
2- स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करना चाहिए.
3- भगवान गणेश को स्नान कराना चाहिए और स्नान के बाद भगवान गणेश को साफ वस्त्र पहनाने चाहिए.
4- भगवान गणेश को सिंदूर का तिलक लगाना चाहिए.
5- गणेश भगवान को दूर्वा अति प्रिय होता है, ऐसे में इस दिन गणेश जी को दूर्वा अर्पित करना शुभ माना गया है.
6- गणेश जी को लड्डू, मोदक का भोग लगाने से वह प्रसन्न होते हैं. भोग लगाने के बाद आखिर में आरती करना चाहिए.
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