राजस्थान

शोभायात्रा के साथ आमलियों की बारी संगीत कला केंद्र में नानी बाई रो मायरो कथा का शुभारंभ

15 Dec 2023 7:40 AM GMT
शोभायात्रा के साथ आमलियों की बारी संगीत कला केंद्र में नानी बाई रो मायरो कथा का शुभारंभ
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भीलवाड़ा। स्वर्णकार महिला संगठन के तत्वावधान में शहर की आमलियों की बारी में स्थित संगीत कला केंद्र में नानी बाई रो मायरो कथा का शुभारंभ शुक्रवार को शोभायात्रा के बाद हुआ। शोभायात्रा संजय कॉलोनी स्थित रोकडिया गणेश मंदिर से निकली। शोभायात्रा में बड़ी संख्या में महिला एवं पुरुष श्रद्धालु शामिल हुए। कथा मंं पहले दिन …

भीलवाड़ा। स्वर्णकार महिला संगठन के तत्वावधान में शहर की आमलियों की बारी में स्थित संगीत कला केंद्र में नानी बाई रो मायरो कथा का शुभारंभ शुक्रवार को शोभायात्रा के बाद हुआ। शोभायात्रा संजय कॉलोनी स्थित रोकडिया गणेश मंदिर से निकली। शोभायात्रा में बड़ी संख्या में महिला एवं पुरुष श्रद्धालु शामिल हुए। कथा मंं पहले दिन व्यास पीठ पर गौवत्स दिव्यांशु दाधीच ने कथा का रसपान कराया। उन्होंने कहा कि नानी बाई रो मायरो अटूट श्रद्धा पर आधारित प्रेरणादायी कथा है। जहां कथा के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण का गुणगान किया जाता है। भगवान को यदि सच्चे मन से याद किया जाए तो वे अपने भक्तों की रक्षा करने स्वयं आते हैं। उन्होंने कथा का विस्तार से वर्णन करते हुए कहा कि नानी बाई रो मायरो की शुरूआत नरसी भगत के जीवन से हुई। नरसी जन्म से ही गूंगे-बहरे थे। वो अपनी दादी के पास रहते थे। उनका एक भाई-भाभी भी थे। भाभी का स्वभाव कड़क था।

एक संत की कृपा से नरसी की आवाज गई तथा उनका बहरापन भी ठीक हो गया। नरसी के माता-पिता गांव की एक महामारी का शिकार हो गए। नरसी का विवाह हुआ लेकिन छोटी उम्र में भगवान को प्यारी हो गई। नरसी जी का दूसरा विवाह कराया गया। समय बीतने पर नरसी की लड़की नानीबाई का विवाह हुआ। इधर नरसी की भाभी ने उन्हें घर से निकाल दिया। नरसी श्रीकृष्ण के अटूट भक्त थे। वे उन्हीं की भक्ति में लग गए। उधर नानीबाई ने पुत्री को जन्म दिया और पुत्री विवाह लायक हो गई किन्तु नरसी को कोई खबर नहीं थी। लड़की के विवाह पर ननिहाल की तरफ से भात भरने की रस्म के चलते नरसी को सूचित किया गया। नरसी के पास देने को कुछ नहीं था। उसने भाई-बंधु से मदद की गुहार लगाई किन्तु मदद तो दूर कोई भी चलने तक को तैयार नहीं हुआ। अंत में टूटी-फूटी बैलगाड़ी लेकर नरसी खुद ही लड़की के ससुराल के लिए निकल पड़े। लेकिन उससे पुर्व ही भगवान कृष्ण ने उसके घर पहले से जेवर कपड़े से भर दिया जो सच्चे भक्तों पर भगवान की असीम कृपा को दर्शाता है। वही उन्होंने मनुष्य जीवन को अनमोल बताते हुए भक्तों को सदुपयोग करने की बात कही एवं भगवान का भजन करने से जीवन का कल्याण होने की बाते अपने कथा में कही। कथा प्रतिदिन दोपहर 2.00 से शाम 5.00 बजे तक चलेगी।

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