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जब हुआ सर्वे तो हुआ चौकाने वाला खुलासा, ग्रैजुएट-पोस्ट ग्रैजुएट भी दिखे भीख मांगते...पढ़े दिलचस्प खबर...

Janta se Rishta
26 Aug 2020 11:53 AM GMT
जब हुआ सर्वे तो हुआ चौकाने वाला खुलासा, ग्रैजुएट-पोस्ट ग्रैजुएट भी दिखे भीख मांगते...पढ़े दिलचस्प खबर...
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क, नई दिल्ली । जयपुर पुलिस ने शहर के भिखारियों पर एक सर्वे किया तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। पता चला कि शहर के 1,162 भिखारियों में तीन ग्रैजुएट तो दो पोस्ट ग्रैजुएट भी हैं। सर्वे में सामने आया कि 825 भिखारी निरक्षर हैं, जबकि 39 साक्षर और 193 अन्य भी स्कूल जा चुके हैं। पढ़ने-लिखने के बावजूद भीख मांग कर गुजारा कर रहे लोगों ने कहा कि अवसर मिले तो वे भी सम्मान की जिंदगी जीना चाहते हैं।

इनमें से एक आर्ट्स में पोस्ट ग्रैजुएट है तो दूसरे ने एमकॉम किया है। तीन अन्य आर्ट्स से ग्रैजुएट हैं। पांच में दो 50 से 55 आयु वर्ग के हैं। दो 32 से 35 साल के हैं, जबकि 5वें भिखारी की उम्र 65 वर्ष है। जयपुर को भिक्षावृत्ति से मुक्त करने के उद्देश्य से इस सर्वे को अंजाम दिया गया है, ताकि उन्हें कुछ काम सिखाकर रोजगार दिलाया जा सके।

कॉलेज की शिक्षा हासिल कर चुके पांचों भिखारियों ने कहा कि वे होटल्स, कंस्ट्रक्शन साइट और दूसरे अकुश क्षेत्रों में काम करने के लिए तैयार हैं। एक ग्रैजुएट भिखारी ने कहा, ''मैं झुंझुनू से हूं और मैंने 25 साल पहले एक सरकारी कॉलेज से ग्रैजुएशन किया था। फिर नौकरी की तलाश में मैं जयपुर आ गया। शहर में मेरे लिए मुश्किलें बढ़ गईं। कई दिनों तक मेरे पास खाने के लिए कुछ नहीं था और सोने के लिए जगह नहीं थी। मेरे परिवार में भी कोई नहीं था। इसलिए मैं जिंदा रहने के लिए दूसरों के सामने हाथ फैलाने को मजबूर हो गया।''

उसने कहा, ''यदि सम्मान और गर्व के साथ रोटी कमाने के मौका दिया जाए तो मैं कृतज्ञ रहूंगा। मैं किसी भी काम या नौकरी के लिए तैयार हूं। एक लेबर से लेकर साफ-सफाई, होटल स्टाफ आदि कुछ भी। मैं बदले में बस इतनी कमाई चाहता हूं कि मुझे खाना मिल जाए और रहने के लिए किराया दे सकूं। हर कोई सम्मान की जिंदगी चाहता है और यदि प्रशासन ऐसा करता है तो मैं आभारी रहूंगा।''

419 भिखारियों ने इसी तरह की भावना व्यक्त की और कहा कि वे भीख नहीं मांगना चाहते हैं। इनमें से 27 ने आगे पढ़ने की इच्छा जाहिर की है। इन भिखारियों में से 809 राजस्थान के हैं, जबकि 95 लोग उत्तर प्रदेश से हैं। मध्य प्रदेश के 63, बिहार के 43, पश्चिम बंगाल के 37, गुजरात के 25, महाराष्ट्र के 15 और अन्य देश के दूसरे हिस्सों के हैं। 939 पुरुष हैं तो 223 महिलाएं।

स्वास्थ्य के लिहाज से देखें तो 898 पूरी तरह फिट हैं, जबकि 150 दिव्यांग हैं। 18 को अस्थमा है, 6 को टीबी और एक कैंसर पीड़ित हैं। उन्य को मामूली दिक्कते हैं। एसीपी और प्रॉजेक्ट इंचार्ज नरेंद्र दाहिमा ने कहा कि सर्वे को मई में पूरा किया गया था। उन्होंने बताया कि सर्वे का उद्देश्य भिखारियों की पहचान कर उनके पुनर्वास की व्यवस्था करना है। साथ ही यह भी पता लगाना था कि क्या इसमें कोई संगठित गैंग भी शामिल है।

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