कुछ कर्मचारियों की शिकायत पर छपी खबर को गलत बताया
रायपुर (जसेरि)। पडऱी स्थित माडुलर किचन से संचालक यशवंत सिन्हा ने जनता से रिश्ता में छपी खबर के बाद अपना पक्ष रखा और हमारे कार्यालय में उपस्थित होकर सारे पेमेंट भाउचर और उन कर्मियों के हस्ताक्षर युक्त दस्तावेज प्रस्तुत कर बताया कि हमारी कंपनी ने किसी भी कर्मचारी का वेतन बकाया नहीं रखा है और न ही उनका मार्कशीट जमानत के तौर पर रखा। नौकरी छोडऩे वाले सभी कर्मियों को अनुभव सर्टिफिकेट के साथ उनके सारे दस्तावेज वापस कर दिए है।
हर कंपनी की अपनी एचआर पॉलिसी होती है और हमने अपनी कंपनी के एचआर पॉलिसी के अनुसार कर्मचारियों की कार्य में उपस्थिति होने की अनिवार्यता के अधिनियम के अंतर्गत सभी कर्मचारियों के साथ उचित न्याय पूर्ण व्यवहार किया है । उसके बावजूद हमारी कंपनी को बदनाम करने हेतु कुछ कर्मचारी लोग हमें ब्लैकमेल करने के लिए यह घृणित कार्य कर रहे और कंपनी को बदनाम करने हेतु नए-नए फार्मूले निकालकर अलग-अलग थानों में एक ही लड़की द्वारा सबके नाम से आवेदन दिया जाता है, हमारे हिसाब से उक्त आवेदन पूर्णता फर्जी है और हम इस पर न्यायसंगत उचित कार्रवाई हेतु अपना कार्य करेंगे।
ज्ञात रहे कि जनता से रिश्ता के अंक में उपरोक्त कंपनी के बाबत सिविल लाइन थाने में शिकायत की खबरों को प्रकाशित किया गया था, जिसके उपरांत कंपनी के संचालक यशवंत सिन्हा कार्यालय में उपस्थित होकर अपना पक्ष रखा, जिसको जनता से रिश्ता ने आज यशवंत सिन्हा का पक्ष जानने की कोशिश की, लेकिन जनता से रिश्ता लोकतंत्र का चौथा हिस्सा होने के नाते सिर्फ खबरों को और जनता को अवगत कराने हेतु ही कार्य कर सकता है। पुलिस और न्यायालय का काम पीडि़त पक्ष को न्याय दिलाना और गलत कार्य करने वालों को सजा दिलाने का काम पुलिस के जांच का विषय है।
फरार कंपनियों पर नहीं हुई कार्रवाई
लेकिन यह भी सच है कि प्लेसमेंट और इनवेस्टमेंट के नाम पर काम करने वाली कंपनियां छत्तीसगढ़ के भोले-भाले लोगों को नौकरी के नाम पर झांसा देती रही है, जिसकी सैकड़ों शिकायत थानों में दर्ज है। जिस पर आज तक कार्रवाई नहीं हुई है। क्योंकि ये कंपनियां झांसा देकर फरार हो जाती है या स्थानीय स्तर पर इस कंपनी से जुड़े लोग फंसा जाते है। कंपनियां शुरूआत में लोगों को बड़े-बड़े सब्जबाग और पैकेज पर गांव-गांव में एजेंट बनाकर चिटफंट में धन जमा करने, कपड़ा खरीदी पर चैन तैयार करने का धंधा चालू कर रकम वसूली कराती है। बाहरी लोग तो ठगी कर भाग जाते है, लेकिन स्थानीय लोग इस तरह भगोड़े कंपनियों में लोगों का धन निवेश करवाकर फंस गए है। लोगों को नौकरी देने के नाम पर झांसा देने वालों का गिरोह पूरे प्रदेश में सक्रिय है, जो भोले-भाले लोगों को शिकार बनाकर फ्रताडि़त करते है। प्रदेश में 4 हजार ऐसी चिटफंड कंपनियों पर अपराध दर्ज है, जो लोगों के धन को निवेश के नाम पर डकार गई है। वहीं कई ऐसी प्लेसमेंट कंपनियां है, जो रोजगार देने के नाम पर बेरोजगारों से ब्लेक मेलिंग कर अनैतिक काम कराती है, जिसके क ई मामले पुलिस ने पकड़े है। इस तरह की सभी कंपनियों को संचालित करने वालों का पुलिस वेरीफिकेशन होना चाहिए, साथ ही कंपनी को भी उनके साथ जुडऩे वालों की पूरी सूची पुलिस को वेरीफिकेशन के लिए भेजनी चाहिए जिससे प्रदेश के सीधे साधे लोग झांसे बच सके।