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परंपरा बनी मुसीबत...यहाँ बचपन में ही काट दिया जाता है लड़कियों के प्राइवेट पार्ट, आखिर क्या है इसका राज

Janta se Rishta
9 Sep 2020 9:39 AM GMT
परंपरा बनी मुसीबत...यहाँ बचपन में ही काट दिया जाता है लड़कियों के प्राइवेट पार्ट, आखिर क्या है इसका राज
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क|इस समय खतना एक प्रकार का विषय बना हुआ है। जिसे लेकर पूरी दुनिया में एक जबरदस्त बहस छिड़ी हुई है। दुनियाभर में खतने को लेकर महिलाओं पर कई तरह से जुल्म किए जाते हैं। यह एक प्रकार की परंपरा है जो कि महिलाओं के प्राइवेट पार्ट से जुड़ी है। इस परंपरा में वजाइना में ब्लेड या किसी धारदार हथियार से चीरा लगाकर उसे सिल दिया जाता है। कई जगह प्राइवेट पार्ट के एक हिस्से को भी काट दिया जाता है।

इस समय खतना एक प्रकार का विषय बना हुआ है। जिसे लेकर पूरी दुनिया में एक जबरदस्त बहस छिड़ी हुई है। दुनियाभर में खतने को लेकर महिलाओं पर कई तरह से जुल्म किए जाते हैं। यह एक प्रकार की परंपरा है जो कि महिलाओं के प्राइवेट पार्ट से जुड़ी है। इस परंपरा में वजाइना में ब्लेड या किसी धारदार हथियार से चीरा लगाकर उसे सिल दिया जाता है। कई जगह प्राइवेट पार्ट के एक हिस्से को भी काट दिया जाता है।

आज भी दुनिया में अन्धविश्वास और गन्दी परम्पराएं खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। दुनियाभर में ना जाने कितनी ही ऐसी परम्पराएं हैं जो बहुत ही अजीब-अजीब तरह की हैं। भारत के कई ऐसे गाँवों की जहां पर महिलाओं के प्राइवेट पार्ट्स को काटकर उसे सिल दिया जाता हैं। कई ऐसी जगह है जहां पर महिलाओं के प्राइवेट पार्ट्स पर ब्लेड लगाकर उसे सिल दिया जाता हैं और उस प्रक्रिया को खतना कहा जाता हैं।

सिल दिया जाता है लड़कियों का का प्राइवेट पार्ट:

इसे करने के पीछे लोगों का मानना है कि ऐसा करने से लड़की की सेक्स की इच्छा नियंत्रित रहती है। कहीं पर इसे परम्परा का नाम दिया जाता हैं तो कही पर इसे रीती-रिवाज का। जो लडकियां इस बात को नहीं मानती उनका समाज से बहिष्कार कर दिया जाता है। महिलाओं का खतना अफ़्रीकी देशों, यमन, इराकी, कुर्दिस्तान, एशिया, इंडोनेशिया, जैसे देशो में अधिकतर होता हैं।

किया जाता है खतना:

भारत के कई ऐसे हिस्से हैं जहां पर आज भी महिलाओं, लड़कियों और बच्चियों के साथ ऐसा होता हैं। खतना करना लड़की के 15 साल की उम्र की हो जाने के बाद शुरू होता है, और इसे किसी महिला के द्वारा ही करवाया जाता है।

लड़कियों का खतना शिशु अवस्था से लेकर 15 साल तक की उम्र के बीच होता है। आमतौर पर परिवार की महिलाएं ही इस काम को अंजाम देती हैं। माना जाता है कि खतना कराने वाली महिलाएं अपने जीवनसाथी के प्रति ज्यादा वफादार होती हैं। खतने के कारण लंबे समय तक रहने वाला दर्द, मासिक धर्म से जुड़ी समस्याएं, पेशाब का संक्रमण और बांझपन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। कई लड़कियों की ज्यादा खून बहने से मौत भी हो जाती है।

कई जगह पर महिलाओं पर परंपरा के नाम पर कई तरह से जुल्म किए जाते हैं। इन्हीं में से एक तरीका है खतना। ये एक प्रकार की परंपरा है जो कि महिलाओं के प्राइवेट पार्ट से जुड़ी है। इस परंपरा में वजाइना में ब्लेड या किसी धारदार हथियार से चीरा लगाकर उसे सिल दिया जाता है। कई जगह प्राइवेट पार्ट के एक हिस्से (क्लिटोरिस) को भी काट दिया जाता है।

क्या है इसकी मान्यता:
ऐसा करने पर लड़की कामेच्छा (सेक्स की इच्छा) को नियंत्रित कर पाती है। इसके अलावा धर्म, परंपरा औऱ समाजिक चलन का भी हवाला दिया जाता है। महिला खतने का चलन मुस्लिम और ईसाई समुदायों के अलावा कुछ स्थानीय धार्मिक समुदायों में भी है।अफ्रीकी देशों, यमन, इराकी कुर्दिस्तान, एशिया और इंडोनेशिया में महिला खतना ज्यादा चलन में है।

हो सकती है ऐसी समस्याएं:
लड़कियों का खतना शिशु अवस्था से लेकर 15 साल तक की उम्र के बीच होता है। आमतौर पर परिवार की महिलाएं ही इस काम को अंजाम देती हैं। खतना कराने वाली महिलाएं अपने जीवनसाथी के प्रति ज्यादा वफादार होती हैं।

खतने के कारण लंबे समय तक रहने वाला दर्द, मासिक धर्म से जुड़ी समस्याएं, पेशाब का संक्रमण और बांझपन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। कई लड़कियों की ज्यादा खून बहने से मौत भी हो जाती है।

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