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करोड़ों रुपये के छिपकली को ऐसे थैला भर ले जा रहा था तस्कर, तभी BSF ने ऐसे दबोचा...फिर...

Janta se Rishta
10 Sep 2020 9:01 AM GMT
करोड़ों रुपये के छिपकली को ऐसे थैला भर ले जा रहा था तस्कर, तभी BSF ने ऐसे दबोचा...फिर...
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क| ऐसे कई जानवर है जो इन्सान का जीवन बचाने में काम आते है क्युकी इनसे काफी असरदार दवाई बनती है . जिसके कारण इन् जानवरों की कीमत करोड़ो में होती है . एक जानवर की कीमत को करोड़ो में सुनना यह कोई आम बात नहीं है लेकिन क्या आपको पता है की एक छिपकली भी ऐसी है जिसकी कीमत ही करीब 1 करोड़ से जायदा है

हाल ही में सशत्र सीमा बल (एसएसबी) की 17वीं बटालियन ने एक तस्करों को एक विशेष प्रकार की छिपकली के साथ गिरफ्तार किया है. जवानों ने इस तस्कर को पश्चिम बंगाल में पकड़ा और इनके पास से 5 टोके गेको (छिपकली की एक खास प्रजाति) को बरामद किया है. जानकारी के अनुसार इस छिपकली का इस्तेमाल मर्दानगी को बढ़ाने वाली दवाओं में किया जाता है. इसके अलावा गीको छिपकली के मीट से डायबिटीज, नपुंसकता, एड्स और कैंसर की भी दवाएं बनाई जाती हैं.

बीएसएफ (BSF) ने बुधवार को पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में भारत-बांग्लादेश सीमा के जरिये तस्करी कर लाई जा रहीं ''टोके गेको'' (Tokay Gecko) प्रजाति की 14 छिपकलियां पकड़ी हैं. अधिकारियों ने बताया कि दुर्लभ प्रजातियों की इन छिपकलियों की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत सात करोड़ रुपये है.

उन्होंने कहा कि सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवानों ने परगुमटी सीमा चौकी पर एक व्यक्ति को देखा. जैसे ही उन्होंने उस व्यक्ति का पीछा करना शुरू किया, वह छिपकलियों से भरा प्लास्टिक का थैला छोड़कर भाग गया.

अधिकारियों ने कहा कि छिपकलियां वन्यजीव विभाग को सौंप दी गई हैं. ये छिपलियां पेड़ पर रहती हैं और एशिया तथा प्रायद्वीप के कुछ हिस्सों में पाई जाती हैं.

वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत इन छिपकलियों को रखना या इनका व्यापार करना अवैध है. ''टोके गेको'' छिपकलियों का इस्तेमाल पारंपरिक औषधियां बनाने में किया जाता है.

टोके गीको एक दुर्लभ और लुप्तप्राय छिपकली की प्रजाति है. अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार इसकी इंटरनेशनल मार्केट में बहुत मांग है. इसकी उत्तर-पूर्वी भारतीय राज्यों से दक्षिणपूर्व एशियाई देशों में अवैध तस्करी की जाती है. यहां के लोग मानते हैं कि गेको के मांस से कई दवाईयां बनाई जाती हैं और ये कई बीमारियों में काम आती हैं.इंडोनेशिया, बांग्लादेश, पूर्वोत्तर भारत, फिलीपींस तथा नेपाल में पाई जाने वाली गेको की कीमत एक करोड़ रुपए तक बताई जाती है. एसएसबी सुरक्षा बल भारत-नेपाल और भारत-भूटान सीमा पर तैनात है.

एसएसबी कई वन्यजीव अभयारण्य की सुरक्षा भी करती है. जानकारी के अनुसार इन वन क्षेत्रों में केवल 120 बाहरी सीमा चौकी स्थित हैं. इसीलिए तस्कर और शिकारियों से वन्य जीवों की सुरक्षा एक बहुत बड़ी बन जाती है.गिरफ्तार तस्कर और जब्त टोके गीको को दक्षिण रैधक के वन रेंज अधिकारियों को को सौंप दिया गया. आपको बता दें कि इस साल एसएसबी ने 65 मामलों में 75 तस्करों को गिरफ्तार किया है.

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