छत्तीसगढ़

केंद्र की सरकार ने तो भगवान राम के सिद्धांत को ही बदल कर रख दिया: राजेश्री महन्त जी

Janta se Rishta
25 Sep 2020 10:01 AM GMT
केंद्र की सरकार ने तो भगवान राम के सिद्धांत को ही बदल कर रख दिया: राजेश्री महन्त जी
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आवश्यक वस्तु संशोधन अधिनियम देश के किसी भी नागरिक के गले नहीं उतर रहा है यह केंद्र सरकार के द्वारा बिना सोंचे समझे लिए गए निर्णय का परिणाम है इसे किसी भी दशा में जन हितकारी या कल्याणकारी नहीं माना जा सकता यह बातें राज्य गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष राजेश्री डॉक्टर महन्त रामसुन्दर दास जी महाराज पीठाधीश्वर दूधाधारी मठ रायपुर ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से अभिव्यक्त की। विदित हो कि केंद्र सरकार के द्वारा आवश्यक वस्तु संशोधन अधिनियम के तहत अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, आलू और प्याज जैसे जीवनदायिनी वस्तुओं को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटा दिया गया है इस पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राजेश्री महन्त जी महाराज ने पूछा कि यदि अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल आलू और प्याज जैसे पदार्थ आवश्यक वस्तु नहीं है तो फिर मानव जीवन तथा प्राणी मात्र के लिए आवश्यक वस्तु क्या है? इसे केंद्र की सरकार स्पष्ट करें! अनाज को तो धर्म शास्त्रों में ब्रह्म का स्वरूप ही माना गया है इसके बिना जीवन संभव नहीं है। इन्हें आवश्यक वस्तुओं के सूची से हटाना लोगों के समझ के परे हैं। इससे भी बड़ा दुखदाई केंद्र की सरकार का वह फरमान है जिसमें उसने इन उपरोक्त वस्तुओं की स्टॉक लिमिट खत्म कर दी है। इसका सीधा सा अर्थ है कि अब इन जीवनोपयोगी वस्तुओं पर बड़े उद्योगपतियों और पूंजी पतियों का एकाधिकार होगा वह जितना चाहे भंडारण कर सकते हैं इससे बाजार व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा जाएगी। याद रखिए बाजार मांग और पूर्ति के सिद्धांत पर कार्य करता है यदि बाजार में वस्तुओं की कमी होगी तो कीमत अपने आप बढ़ जाएंगे। केंद्र सरकार का यह कथन हास्यास्पद है कि कीमतें बढ़ने पर सरकार के पास पूर्व की तरह नियंत्रण की शक्तियां मौजूद होगी, राजेश्री महन्त जी महाराज ने कहा कि सरकार तो अभी भी वस्तुओं के कीमत पर नियंत्रण नहीं कर पा रही है फिर जब बड़े उद्योगपति बाजार व्यवस्था पर पूरी तरह से हावी हो जाएंगे तब नियंत्रण कैसे होगा? जो खाद्य पदार्थ किलो और क्विंटल में बिका करती थी वह आज पांव में बिकने लगा है जिस आलू और प्याज के दाम बाजार में आज से 5-6 वर्ष पूर्व मुश्किल से 6 या 7 रुपए प्रति किलोग्राम था वह आज 50 से ₹60 रुपए किलो हो चुका है। जो अभी भी देश की गरीब जनता के पहुंच के बाहर हैं, यदि यही हाल रहा तो आने वाले समय में खाद्य पदार्थ भी सोने- चांदी, हीरे- जवाहरात की तरह रत्ती और तोला में बिकना प्रारंभ हो जाएगा! केंद्र की सरकार ने भगवान रामचंद्र जी के सिद्धांत को भी बदल कर रख दिया, एक से बढ़कर एक राजा और महाराजा इस संसार में हुए इतना अति तो कभी भी किसी ने नहीं किया था। प्रभु ने संसार के प्राणियों के जीवन दान के लिए खाद्यान्न को सस्ता और सुलभ बनाया था गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज ने लिखा है- मणि माणिक महंगा किए, सहंगा किए तृण नाज, तुलसी या ते जानिए रामहिं गरीब नवाज।। अर्थात भगवान श्री राम जी ने मणि, माणिक, हीरे, जवाहरात को तो महंगा बनाया लेकिन उसने प्राणी मात्र के जीवन की रक्षा के लिए तृण अर्थात घास और अनाज जैसे अति आवश्यक वस्तुओं को सस्ता बनाया ताकि उनके जीवन की रक्षा की जा सके। केंद्र की सरकार को अपने आवश्यक वस्तु संशोधन अधिनियम पर पुनर्विचार कर इसे तत्काल प्रभाव से निरस्त करना चाहिए।

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