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Covid-19 को लेकर वैज्ञानिकों ने की चौंकाने वाला खुलासा...दावा- 7 साल पहले ही चीन में फैला था वायरस
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कोरोना वायरस ने दुनियाभर में तबाही मचा रखी है। इसकी वजह से अब तक दो करोड़ 17 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं जबकि सात लाख 72 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इस वायरस को दुनिया में आए आठ महीने से ज्यादा का वक्त बीत चुका है, लेकिन अब तक इसकी उत्पत्ति के बारे में पता नहीं लगाया जा सका है। इसको लेकर तरह-तरह की बातें कही जाती रही हैं। कहा जाता है कि चीन के वुहान में सीफूड मार्केट से यह वायरस फैला है जबकि कुछ का मानना है कि इसे वुहान की लैब में बनाया गया है और वहीं से यह फैला है। अब वैज्ञानिकों ने इसको लेकर एक नया और चौंकाने वाला दावा किया है। वैज्ञानिकों का मानना है कि कोरोना वायरस सात पहले यानी साल 2012 में ही पैदा हो गया था और उस समय इससे खदान में काम करने वाले कुछ मजदूर संक्रमित भी हुए थे। उनमें आज के कोरोना वायरस जैसे लक्षण देखने को मिले थे।
वैज्ञानिकों के मुताबिक, साल 2012 में चीन के दक्षिणपश्चिम के युन्नान प्रांत की मोजियांग खदान में छह मजदूरों को चमगादड़ का मल साफ करने के लिए भेजा गया था। उन्होंने 14 दिन उस खदान में बिताए थे। बाद में उनमें तेज बुखार, सूखी खांसीं, हाथ-पैर में दर्द और सिरदर्द जैसे लक्षण देखने को मिले। इनमें से तीन मजदूरों की मौत भी हो गई थी।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, संक्रमित मजदूरों का इलाज चीन के एक डॉक्टर ली सू ने किया था। उन्होंने इस बारे में थीसिस भी लिखी थी, जिसे अमेरिकी वायरॉलजिस्ट जोनाथन लैथम और मॉलिक्यूलर बायोलॉजिस्ट ऐलिसन विल्सन ने पढ़ा है। उनका दावा है कि उन मजदूरों के सैंपल टिशू वुहान लैब भेजे गए थे, जहां चमगादड़ों में पाए जाने वाले खतरनाक वायरस पर रिसर्च होती है और वहीं से यह वायरस लीक हुआ।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, वुहान में कोविड-19 से मौत का पहला मामला 11 जनवरी, 2020 को सामने आया था। इसके महज नौ दिन बाद वायरस चीन से निकलकर जापान, दक्षिण कोरिया और थाईलैंड तक पहुंच गया था। अभी तो यह दुनियाभर के 180 से भी ज्यादा देशों में फैल चुका है। अब तक इसका कोई सफल इलाज नहीं मिल सका है, लेकिन दुनियाभर के वैज्ञानिक इस वायरस को खत्म करने के लिए वैक्सीन बनाने में जुटे हुए हैं।
इस बीच मलेशिया में एक नए प्रकार के कोरोना वायरस का पता चला है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह वायरस सामान्य से 10 गुना ज्यादा संक्रामक है। माना जा रहा है कि यह वायरस चीन के वुहान में पाए गए सबसे खतरनाक कोविड के प्रकार से भी ज्यादा घातक है। इसे डी614जी म्यूटेशन कहा जा रहा है। मलेशिया के स्वास्थ्य महानिदेशक दातुक डॉ. नूर हिशाम अब्दुल्ला के मुताबिक, यह म्यूटेशन पहली बार जुलाई में पाया गया था। यह इतना खतरनाक है कि दुनियाभर में वैक्सीन पर चल रही रिसर्च नाकाफी हो सकती है।