जनता से रिश्ता वेबडेस्क। वैसे तो उड़ने वाले सांप बहुत कम ही देखने को मिलते हैं। लेकिन बहुत ज्यादा जहरीले ना होने के बावजूद भी इन सांपों का खौफ बहुत ज्यादा रहता है। इन सांपों में सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात ये लगती है कि ये सांप पंख ना होने के बावजूद भी कैसे उड़ लेते हैं। हाल ही में हुए एक शोध में वैज्ञानिकों को इस बात का पता चल गया है कि ये सांप किस तरह से उड़ते हैं।
पैराडाइस ट्री स्नेक या क्रिसोपेलिया पाराडिसी प्रजाति के सांप पेड़ की एक शाखा से दूसरे शाखा तक उड़ते हुए जाते हैं। इतना ही नहीं कई बार ये सांप उड़कर जमीन पर भी उतर आते हैं। उड़ते समय ये सांप खास तरीके से हिलते हुए हवा में तैरता है और अंग्रेजी लेटर 'S' की तरह आकार बनाता है। इस प्रक्रिया को अनड्यूलेशन कहा जाता है। इसी गतिविधि के जरिए खास प्रजाति के सांप हवा में उड़ते हैं। इन सांपों को ग्लाइडिंग स्नेक भी कहा जाता है।
हवा में उड़ने वाले कुल 7 प्जाति के सांपों पर शोधकर्ताओं ने अध्ययन किया। इसके लिए उन्होंने उनकी गतिविधियों को हाई स्पीड कैमरों में रिकॉर्ड किया। शोधकर्ताओं ने बताया कि अपने शरीर को सीधा कर लेना इन सांपों के उड़ान का हिस्सा है। लेकिन वे लहराने वाली गतिविधि भी करते हैं। ऐसा लगता है कि सांप हवा में तैरते हैं और तैरते हैं तो अनड्यूलेशन की गतिविधि होती है।
शोध मं ये भी पता चला कि ये सांप उड़ते समय दो अलग-अलग तरह की गतिविधियां करते हैं। सबसे पहले वे एक बड़े आयाम वाली चौड़ाई वाली लहर बनाते हैं और इसके साथ ही वे एक छोटे आयाम वाली एक लंबाई वाली लहर भी बनाते हैं। वैसे इनकी सारी गतिविधि इतनी तेज होती है कि आंखों से पूरी तरह से देख पाना मुमकिन नहीं होता है।
उड़ने वाले सांपों की ये प्रजाति दक्षिणपूर्व एशिया के अलावा भारत, श्रीलंका, दक्षिण चीन और फिलीपींस में भी पाए जाते हैं। आमतौर पर ये सांप भोजन के लिए छिपकली, कुतरने वाले जीव, चमगादड़, कुछ पंछी तक का शिकार करते हैं। बता दें कि इन सांपों का जहर जानलेवा नहीं होता है।