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वैज्ञानिकों ने कोरोना से रक्षा करने वाले एंटीबॉडी को खोजा, जाने कैसे करता है संक्रमण से बचाव

Janta se Rishta
26 Aug 2020 4:39 PM GMT
वैज्ञानिकों ने कोरोना से रक्षा करने वाले एंटीबॉडी को खोजा, जाने कैसे करता है संक्रमण से बचाव
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क।वाशिंगटन,कोरोना की अचूक काट के लिए अध्‍ययन लगातार जारी हैं। वैज्ञानिकों ने मानव शरीर में पाए जाने वाले एक एंटीबॉडी की पहचान की है जो कोरोना के लिए जिम्मेदार वायरस से बचाव करती है। अमेरिका के मैसाचुसेट्स मेडिकल स्कूल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ प्रतिक्रिया करने वाले मानवीय मोनोक्लोनल एंटीबॉडी का पता लगाया है।

नेचर कम्युनिकेशन पत्रिका में प्रकाशित इस शोध में कहा गया है कि यह एंटीबॉडी श्वसन प्रणाली के आंतरिक अंगों को घेरे रहने वाली झिल्ली पर एसीई2 रिसेप्टर पर वायरस को ठहरने से रोकता है। शोधकर्ताओं ने 16 साल पहले आइजीजी मोनोक्लोनल एंटीबाडी की पहचान की थी, जो इसी तरह के वायरस और सार्स के खिलाफ प्रभावी था। इसके बाद रिसर्चर ने पुराने सार्स कार्यक्रम को फिर से जीवित करने की प्रक्रिया शुरू की।

बाद में वैज्ञानिकों ने 16 साल पहले विकसित की गई जमी हुई कोशिकाओं को प्राप्त कर उन्हें पिघलाना शुरू किया। इसके बाद यह तय करना शुरू किया कि एक तरह के नोवल कोरोनावायरस में जो काम आया, क्या वह दूसरे वायरस के लिए भी काम करता है या नहीं। उन्होंने कहा कि भले ही दोनों कोरोना वायरस में 90 फीसदी तक समानता है, लेकिन मोनोक्लोनल एंटीबॉडी ने मौजूदा कोरोना वायरस से जुड़ने की कोई क्षमता प्रदर्शित नहीं की।

मोनोक्लोनल एंटीबॉडी वे एंटीबॉडी हैं जो समान प्रतिरक्षा कोशिकाओं द्वारा बनाए जाते हैं। ये सभी कोशिकाएं विशिष्ट मूल कोशिका की क्लोन होती हैं। उधर डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि वैश्विक महामारी कोविड-19 की वैक्सीन की सीमित संख्या को ईमानदारी से सब तक पहुंचाना बहुत ही बड़ी चुनौती है। डब्ल्यूएचओ की प्रमुख वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि कम उपलब्ध वैक्सीनों को संपन्न देश ही अपने कब्जे में न कर लें, इसका पूरा ध्यान रखना होगा।

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