छत्तीसगढ़

रायपुर के धारावी में बिक रहे खुलेआम नशे के सामान...तेलीबांधा देवार बस्ती का काला सच, नहीं बदली तस्वीर न तकदीर

Janta se Rishta
21 Aug 2020 6:14 AM GMT
रायपुर के धारावी में बिक रहे खुलेआम नशे के सामान...तेलीबांधा देवार बस्ती का काला सच, नहीं बदली तस्वीर न तकदीर
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जाकिर घुरसेना

रायपुर। मुबंई की स्लम बस्ती जहां घर-घर अपराध और अपराधियों का बसेरा है। जहां दिन के उजाले में काले कारनामों को बेखौफ अंजाम दिया जाता है, जहां सिर्फ अपराध ही पैदा होता है और फलता-फूलता है। ठीक उसी के नक्शे कदम में राजधानी रायपुर में एक बस्ती पूरी तरह धारावी के रंग में रंग चुकी है। यहां किसी का नियंत्रण आज तक नहीं हो पाया है। हम बात कर रहे है राजधानी के कुख्यात अपराधिक क्षेत्र तेलीबांधा की देवार बस्ती का, जहां गांजा, चरस, अफीम, ड्रग्स, हुक्का, शराब, सिरप, नशीली दवाई बहुत आसानी से मिल जाता है। सरकार की तमाम योजनाओं की सुविधाएं इस गरीब बस्ती वालों को मिलने के बाद भी न तो यहां की तस्वीर बदली और न ही यहां के लोगों की तकदीर बदली। बस एक ढर्रे पर जिंदगी घिसटती जा रही है। राजधानी पुलिस और समाज सेवी संगठन यहां हजारों शिविर और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर चुके है, लेकिन कहीं कोई सुधार की गुंजाइश नजर नहीं आने पर अब पुलिस और समाज सेवी संगठनों ने उसे उसके हाल पर छोड़कर हाथ जोड़ लिया है। देवार बस्ती में छोटी सी बात पर मर्डर होना मामूली बात है।
मुबंई की कुख्यात धारावी बस्ती का नाम पूरे हिंदुस्तान ही नहीं विश्व में कुख्यात है। मुबंई में कहीं भी क्राइम हो सबसे पहले पुलिस और नागरिकों की जुबान में धारावी बस्ती का नाम आता है। क्राइम के मामले में धारावी के समान स्लम बस्ती राजधानी में भी बन चुका है। छत्तीसगढ़ के लोगों को यह नहीं मालूम कि तेलीबांधा रायपुर भी एक धारावी बस्ती है जहाँ हर किस्म के धंधे होते है। दारू, गांजा अफीम चरस ड्रग्स के अलावा यहां पर आपको प्रतिबंधित मांस मटन भी आसानी से उपलब्ध हो जायेगा। कई बड़े-बड़े लोगों को मांस-मटन खरीदते देखा जा सकता है। सिर्फ आपको जेब ढीली करनी है सारा संसार उपलब्ध है।
हर प्रकार के नशीले पदार्थ खुलेआम मिल जाता है। स्थानीय एवं मोहल्ले के लोगों का कहना है कि यह काम पूरी तरह से पुलिस की जानकारी में हो रहा है । पुलिस विभाग के निचले स्तर के कर्मचारी ऊपर अधिकारियों को जानकारी नहीं देते, इसलिए उच्च अधिकारी वस्तुस्थिति से अनभिज्ञ रहते है । सूत्रों की माने तो यहाँ पर रोजाना लाखों के ड्रग्स की बिक्री होती है, साथ ही रोजाना अमूमन 30 पेटी शराब की बिक्री होती है। लोग साफ तौर पर पुलिस की मिलीभगत की की बात करते है। पीसीआर वेन के कर्मचारियों को लोग इसका जिम्मेदार मानते है । खुलेआम लिफाफा लेते भी देखा जा सकता है। जनता से रिश्ता के फोटो पत्रकार ने इसकी सत्यता जांचने बस्ती का मुआयना करने पहुंचा तो उनके साथ दुव्र्यवहार भी किया, जिसकी सूचना पुलिस को दी गई लेकिन पुलिस इस मामले में खामोश है। जो नशीला पदार्थ रायपुर में कही नहीं मिलता, वह तेलीबांधा स्थित धारावी बस्ती में आसानी से उपलब्ध हो जाता है।
सूरज ढलते ही नशे के कारोबारी खुलेआम खरीद-फरोख्त करते देखे जा सकते है। वैसे उनको सूरज ढलने का इंतेजार नहीं रहता, दिन के उजाले में भी वे खुलेआम अपने काम को अंजाम देते है। बस ये लोग ऊपर वाले को भेंट पूजा करते रहते है। बस्ती के लोगों का कहना है कि नशे के कारोबार में बस्ती के काफी लोग संलिप्त है और आसानी से उनके काम संचालित हो रहे है। उनके खिलाफ बोलने की हिम्मत किसी में नहीं है। अगर किसी ने हिमाकत की तो उसका हाथ पैर टूटना तय माना जाता है । अपराधी बेखौफ होकर अपने काम अंजाम दे रहे और पुलिस तमाशबीन बनी हुई है। जिसके कारण आए दिन यहां नए-नए अपराध हो रहे है। पिछले दिनों तेलीबांधा में एक महिला के घर घुसकर छेडख़ानी हुआ था जिसमें पुलिस के जवान संलिप्त थे, जिसे बाद में सस्पेंड कर दिया गया था । वस्तुस्थिति में वो छेडख़ानी नहीं था, नशे के कारोबार के वर्चस्व को लेकर विवाद ही था। कल जिस महिला की मौत हुई थी उसमें भी काफी बवाल मचा था । पुलिस का कहना था कि यह आत्महत्या था, लेकिन मृतक की बहन और प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि शराब के नशे में ऊपर से धक्का दिया गया। लोग हैरान है और जानना चाहते है की पुलिस लीपापोती में क्यों लगी है। राजधानी के पॉश एरिया के नजदीक यह धारावी बस्ती नासूर बनकर पूरे शहर को अपने गिरफ्त लेने के लिए पैर पसार चुका है। जो आगे चलकर यहां के रिहायशियों के लिए परेशानी का सबब बनेगा, ऐसा मोहल्ले के लोगों का कहना है। पुलिस तो इसे धारावी बनने से पहले ही काले कारोबार को पूरी तरह नेस्तानबूत करना चाहिए, जिससे यहां रहने वाले लोग सुकून का जीवन जी सके, नहीं तो धारावी बनना तय है।

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