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अफगानिस्तान में कोरोना के वजह से अफीम की खेत में काम करने को मजबूर हैं लोग

Janta se Rishta
29 Aug 2020 12:09 PM GMT
अफगानिस्तान में कोरोना के वजह से अफीम की खेत में काम करने को मजबूर हैं लोग
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। काबुल, एएफपी। लंबे समय से अफगानिस्तान दुनिया में अफीम बेचने वाले देशों में पहले स्थान पर है। दुनिया भर में सप्लाई होने वाले अफीम का 80 फीसद हिस्सा अफगानिस्तान से भेजा जाता है। देश में इसके कारण हजारों लोगों के पास रोजगार है। कोरोना वायरस संक्रमण के कारण दुनिया भर में लॉकडाउन व यात्रा प्रतिबंधों के कारण देश में तमाम गतिविधियों पर विराम लग गया था और अनेकों बिजनेस में छंटनी की नौबत भी आ गई। उरुजगान के सेंट्रल प्रांत में 42 वर्षीय मेकैनिक फाजिली ने बताया, 'कोरोना वायरस के कारण मेरी नौकरी चली गई। मेरे परिवार में 12 सदस्य हैं और मैं एकमात्र कमाने वाला हूं।'

UN के ड्रग एंड क्राइम ऑफिस (UNODC) द्वारा जून में प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया कि पाकिस्तान के साथ सीमाओं के बंद होने से देश के पश्चिमी और दक्षिण प्रांतों में वर्करों की कमी हो गई। लॉकडाउन के कारण स्टूडेंट का स्कूल जाना बंद था ये सभी अफीम की खेत में पैसों के लिए काम कर रहे हैं। कंधार के 18 वर्षीय स्टूडेंट नाजिर अहमद ने कहा,' हमारा स्कूल बंद है और अफीम की खेत में काम करने का मेरे पास पर्याप्त समय है जिससे मैं कुछ पैसों की कमाई कर लेता हूं।

पूर्वी नांगरहर के खोगयानी जिला निवासी मुसाफिर ने कहा, 'कोई नौकरी नहीं है, मेरे रिश्तेदार और ग्रामीण समेत कई लोग बेरोजगार हैं और इसलिए अफीम की खेती करने को मजबूर हैं। पिछले दशक अफगानिस्तान में नार्कोटिक्स ड्राइव के तहत करोड़ों रुपये खर्च किए गए। इसके तहत दूसरे फसलों जैसे केसर आदि की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया गया लेकिन इसमें पूरी सफलता नहीं मिली। दक्षिणी कंधार के गवर्नर हयातुल्ला हयात ने कहा कि पिछले 18 सालों में अफीम की खेती को खत्म करने का प्रयास कारगर नहीं हुआ।' किसानों और तस्करों के जरिए तालिबान ने अफीम से लंबे समय तक कमाई की और ड्रग बनाने वाली अपनी फैक्ट्रियों की शुरुआत की। जिससे वे कच्चे अफीम को मॉर्फिन या हेरोइन में बदलकर निर्यात करते थे।

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