छत्तीसगढ़

जल संसाधन से दूसरे विभागों में नियम विरूद्ध वर्षो से प्रतिनियुक्ति पर जमे अधिकारियों को लूट की खुली छूट

Janta se Rishta
2 Sep 2020 6:15 AM GMT
जल संसाधन से दूसरे विभागों में नियम विरूद्ध वर्षो से प्रतिनियुक्ति पर जमे अधिकारियों को लूट की खुली छूट
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मलाईदार विभाग में प्रतिनियुक्ति नियम कानून की उड़ाई जा रही धज्जियां

मूल विभाग में जाने के बजाय जोड़-तोड़ कर जमे रहने का 20 वर्षों से चल रहा षडयंत्र

जा़किर घुरसेना


रायपुर। सरकारी नियम कानून की धज्जियां कैसे उड़ाई जाए, इस खेल में छत्तीसगढ़ सरकार के सरकारी विभाग में डेपुडेशन पर आए अधिकारियों को महारत हासिल हो चुका है, तभी तो सरकारी नियम कायदे की परवाह किए बगैर विभागीय मंत्री तक को चकमा देने में कामयाब होकर एक ही विभाग में 15 सालों से अंगद की पैर की तरह डेपुडेशन में जमे हुए है। जबकि सामान्य प्रशासन विभाग की नियमावली में प्रतिनियुक्ति 3-4 साल तक ही कानून सम्मत माना जाता है। छत्तीसगढ़ सरकार के जलसंसाधन विभाग में तो उल्टी गंगा बह रही है। जहां प्रतिनियुक्ति वाले अधिकारी करोड़ों अरबों की डुबकी लगा रहे है। और उपर रेंक लेकर उपर वालों की खेत में सरकारी हरियाली बिखेर रहे है।

चहेतों को उपकृत करने का खेल

जल संसाधन विभाग में इंजीनियरों की कमी है और चहेतों को उपकृत करने का खेल वर्षो से जलसंसाधन विभाग में चल रहा है। जलसंसाधन विभाग में अधिकारियों ने ऐसा जाल बिछाया है कि दूसरे विभाग के अपने चहेतों को यहां नियुक्ति देकर मलाईदार काम की जिम्मेदारी देकर खुद मालामाल हो रहे है और प्रतिनियुक्ति वाले अधिकारी को मालामाल कर रहे है। ऐसे में कल्पना करें की कोई भला मलाईदार विभाग को छोड़कर कैसे अपने मूल विभाग में वापसी करेगा। प्रतिनियुक्ति के आड़ में अपने चहेतों को मलाईदार पद में बैठाने का खेल अनवरत चल रहा है। सीजी आरआरडीए /प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना/ मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना में प्रतिनियुक्ति वाले अधिकारी मजे मार रहे है। वर्तमान में एसएन शुक्ला को एससी बनाकर प्रभारी अधीक्षण अभियंता सीजी आरआरडीए, पीएमजीएसवाय रायपुर और पीएमजीएसवाय राजनांदगांव तीनों जगह की अधीक्षण अभियंता का प्रभार सौंप दिया गया है। साफ झलकता है कि इन पर विशेष कृपा बरसाई गई है। जबकि इनका मूल पद कार्यपालन अभियंता है।

कड़कनाथ का मिला आशीर्वाद, रेंक हुआ उपर

इसी प्रकार सीजीआरआरडीए अधिकारियों की सेवा में बस्तर के कड़कनाथ व कोल्ड्रिंग की व्यवस्था करने वाले अरूण शर्मा को जिनका मूल पद सहायक अभियंता है, को एक रेंक उपर पदस्थ करते हुए ग्रामीण यांत्रिकी सेवा, कार्यपालन अभियंता पीएमसीजीवाय कोंडागांव, प्रभार ईई पीएमजीएसवाय नारायणपुर सहित प्रभारी ईईएमजीएसवाय कांकेर का प्रभार एक साथ चार-चार ईई का प्रभार सौंप दिया गया है। विगत 3 वर्षों से बड़ी संख्या में जलसंसाधन विभाग के वरिष्ठ और अनुभवी अधिकारी जैसे अधाीक्षण अभियंता, कार्यपालन अभियंता और मैदानी अमला जैसे सब इंजीनियर और एसडीओ लगातार सेवनिवृत्त हो रहे है, वहीं दूसरी ओर बोधघाट जैसे बड़ी परियोजनाएं स्वीकृत हो रही है, ऐसी स्थिति में जलसंसाधन विभाग में अनुभवी अधिकारियों की कमी तो हो ही रही होगी। लगभग 35 अभियंता डेपुटेसन में सीजीआरआरडीए में अलग-अलग स्थानों में पदस्थ है। इस संबंध में सीजीआरआरडीए के सीओओ व्दारा पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री को प्रतिनियुक्ति की कोई समय सीमा निश्चित नहीं होने की गलत जानकारी दी गई है। जबकि मूलभूत नियम में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि प्रतिनियुक्ति अधिकतक 3-4 वर्ष की होगी। यहां सीडीआरआरडीए के सीओओ व्दारा मंत्री को गुमराह किया गया। जल संसाधन विभाग से प्रतिनियुक्ति पर विगत 18-20 वर्षों से सीजीआरआरडीए में डेरा डाले हुए है। और ये सभी अधिकारी प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में भ्रष्टाचार कर करोड़ों की अवैध कमाई के लालच में अपने मूल विभाग वापस जाना नहीं चाहते। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना और मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत अरबों रुपए के सड़क निर्माण का मलाईदार काम रहता है, जिसमें कराए गए काम में कमीशन और फर्जी काम के बंदरबाट किसी से छुपा नहीं है। इन सभी अधिकारियों के मूल विभाग में वापस नहीं जाने का कारण यह भी है कि मूल विभाग से एक रैंक उपर होने पर कमीशन का प्रतिशत भी बढ़ जाता है। साथ ही वैध-अवैध अधिकार और सुविधाओं में भी बढ़ोत्तरी हो जाती है। और जवाबदारी घट जाती है। सीजीआरआरडीए के निर्णायक अधिकारियों को मूल पद से एक रैंक उपर पदस्थ करते हुए 2-3 डिविजन/सर्किल प्रभारी बनाकर उपकृत किया जाता है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में कहीं घी भर घना, तो कही सूखा चना, तो कही वह भी मना वाली कहावत को चरितार्थ किया जा रहा है। जल संसाधन विभाग से प्रतिनियुक्ति पर आए सभी अधिकारी विगत 18-20 वर्षों से प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में डेरा डाल कर करोड़ों का भ्रष्टाचार कर रहे है। नियमानुसार प्रतिनियुक्ति अधिकतम 3-4 वर्षों की हो सकती है। सीजीआरआरडीए के निर्णायक अधिकारियों व्दारा पंचायत मंत्री को लिखित जानकारी दी है कि प्रतिनियुक्ति की कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है। ऐसा करते हुए सीजीआरआरडीए के अधिकारी पंचायत मंत्री की आंखों में धूल झोंक कर गुमराह करने में सफल हो गए है। जबकि छत्तीसगढ़ मूलभूत नियम में स्पष्ट तौर पर लिखा है कि प्रतिनियुक्ति 3-4 वर्षों की ही हो सकती है।

नियम कानून को दिखाया ठेंगा

पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में प्रतिनियुक्ति संबंधी सामान्य प्रशासन विभाग और वित्त विभाग व्दारा जारी निर्देशों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। साथ ही छत्तीसगढ़ शासन के स्वच्छ छवि वाले पंचायत मंत्री के साख में बट्टा लगाने सीजीआरआरडीए के अधिकारी निरंतर लगे है।

कड़वा सच

कड़वी सच्चाई यहीं है कि छत्तीसगढ़ निर्माण के बाद माल लेकर दूसरों को मालामाल करने का अधिकार और अवसर देने वाले भ्रष्ट अधिकारियों की पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में कमी नहीं है।

ताजा मामला…26 वरिष्ठ अनुभवी अधिकारी सेवा निवृत्त हो रहे

जल संससाधन विभाग मंत्रालय महानदी भवन नवा रायपुर अटल नगर रायपुर के आदेश क्रमांक एफ 02-01/स्था./31/2013 दिनांक 30/8/2019 के अनुसार वर्ष 2020 में 24 कार्यपालन अभियंता और दो अधीक्षण अभियंता सेवानिवृत्त हो रहे है, केवल एक वर्ष में 26 वरिष्ठ अनुभवी अधिकारी सेवा निवृत्त हो रहे है, वहीं दूसरी तरफ बड़ी संख्या में इस विभाग के अनुभवी अधिकारी विभिन्न विभागों में प्रतिनियुक्ति पर है।

शासन को पत्र लिखा है, धीरे-धीरे एक-एक करके इंजीनियर वापस आ रहे है।
-जयंत पवार, प्रमुख अभियंता जल संसाधन विभाग

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