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भारत की एक ऐसी 'सीक्रेट यूनिट' पर चर्चा की गई शुरू...इसके नाम से दुश्मन हुए चौंकाने

Janta se Rishta
8 Sep 2020 12:51 PM GMT
भारत की एक ऐसी सीक्रेट यूनिट पर चर्चा की गई शुरू...इसके नाम से दुश्मन हुए चौंकाने
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  • इस सीक्रेट यूनिट का नाम है SFF यानी स्पेशल फ्रंटियर फोर्स. इस फोर्स के वीर वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन के मंसूबों को नाकाम करते हैं. SFF के योद्धा बांग्लादेश युद्ध और करगिल युद्ध के दौरान भी अपनी ताकत का एहसास करा चुके हैं. इसके अलावा, पंजाब और कश्मीर में अलग-अलग नामों से एसएफएफ के जांबाज आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन में भी हिस्सा ले चुके हैं.
  • तिब्बत के शरणार्थी से बनी स्पेशल फोर्स

  • इस फोर्स की सबसे खास और दिलचस्प बात ये है कि इसमें तिब्बत के शरणार्थी शामिल हैं और भारतीय ऑफिसर इसे लीड करते हैं. हाल ही में, लद्दाख में पेंगोंग झील के पास एक लैंडमाइन धमाके में एसएफएफ के एक कमांडो की शहादत के बाद इस पर चर्चा होने लगी है.तिब्बत में चीन के अत्याचार का नतीजा

  • SFF के अस्तित्व की बात करें तो ये तिब्बत में चीन के अत्याचार और जुल्मों का नतीजा है. चीन की सख्ती से परेशान तिब्बत के जवानों की इस यूनिट को शुरुआती दौर में भारतीय और अमेरिकी फोर्स ने ट्रेनिंग दी थी. 70 के दशक में SFF के कमांडोज को पैराजंपिंग में भी पारंगत किया गया. कुछ वक्त बाद SFF बटालियन सीधे तौर पर भारतीय सेना के अधीन सेवा देने लगी. बताया ये भी जाता है कि स्पेशल फ्रंटियर फोर्स SFF रॉ के तहत काम करती है और इसका गठन 1962 में हुआ था.ऊंचे पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्रों में लड़ाई के माहिर

  • ऊंचे पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्रों में लड़ाई के माहिर एसएफएफ के योद्धाओं को भारतीय सेना ने सबसे पहले 1984 में ऑपरेशन मेघदूत के तहत सियाचिन ग्लेशियर पर कंट्रोल का मौका दिया था. तुरटुक के पास दक्षिणी ग्लेशियर में पाकिस्तानी सीमा पर भी एसएफएफ के कमांडो की तैनाती की गई थी.विकास रेजिमेंट

  • भारतीय सेना में सेवा देते वक्त एक वक्त ऐसा आया जब एसएफएफ को 'विकास रेजिमेंट' कहा जाने लगा और इसकी बटालियन को 'विकास बटालियन' की संज्ञा दी गई. मौजूदा वक्त में सियाचिन में एक विकास बटालियन नियमति तौर पर तैनात रहती है.
  • करगिल युद्ध में अहम रोल

  • SFF ने 1999 के करगिल युद्ध में अहम रोल अदा किया. एसएफएफ की पांचवीं बटालियन को 102 इंफेंट्री ब्रिगेड में शामिल किया गया. बताया जाता है कि युद्ध के दौरान विकास बटालियन ने युद्ध में इंफेंट्री ब्रिगेड की मदद की.
  • 22 SF यूनिट

  • इसी दौरान 90 के दशक में जब कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ ऑपरेशन छेड़ा गया तो भारतीय समाचार पत्रों में कुछ ऐसे जवानों की शहादत की खबरें आईं जिनकी पहचान के तौर पर 22SF या 22 स्पेशल फोर्स जैसे नाम लिखे गए. कहा जाता है कि भारतीय सेना में भी इस बात की जानकारी नहीं थी कि ये 22 SF यूनिट क्या है या कोई ऐसी यूनिट भी है.
  • चीन को नहीं थी भनक

  • अब चीन भी सकते में आया
  • इस यूनिट को लेकर जहां भारतीय सेना में भी पूरी जानकारी नहीं थी, वहां दुश्मन देश को इसकी भनक भला कहां लग सकती थी. यही वजह है कि बीते 29-30 अगस्त की रात जब SFF के जवानों ने लद्दाख में पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर चीनी सेना की घुसपैठ की कोशिश को नाकाम किया तो इसी ऑपरेशन के दौरान एक लैंडमाइन की चपेट में आने से कमांडो नीमा तेंजिन की मौत हो गई. नीमा तेंजिन की शहादत से एसएफएफ का नाम सामने आया.चीन को नहीं समझ आया माजरा

  • लेह में जब नीमा तेंजिन को पूरे सम्मान के साथ विदाई दी गई और भारत माता की जय के नारे लगाए गए तो चीन के कान खड़े हो गए. चीन के विदेश मंत्रालय की तरफ से हुआ चुनयिंग ने कहा कि मैं यह भी सोच रही हूं कि 'निर्वासित तिब्बतियों' और भारतीय सीमा सैनिकों के बीच क्या संबंध है. यानी चीन को भी समझ नहीं आया कि आखिर माजरा क्या है.चीनी मीडिया में भी चर्चा
  • भारत की इस सीक्रेट यूनिट को लेकर चीनी मीडिया में भी चर्चा होने लगी है. चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने इसे लेकर एक आर्टिकल छापा और कहा कि विदेशी मीडिया में भी अचानक से भारत की स्पेशल यूनिट SFF और तिब्बत की निर्वासित सरकार से भारत को मिल रहे सपोर्ट को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है. चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा कि चीन तिब्बत में अलगाववादी ताकतों को किसी भी रूप में बढ़ावा देने का सख्ती से विरोध करता है. अखबार ने लिखा है कि तिब्बत की निर्वासित सरकार की अहमियत नहीं रह गई है और अब सिर्फ चीन-भारत सीमा विवाद में एक मौके के तौर पर ही इसकी चर्चा होती है.

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