सम्पादकीय

नापाक चेहरा | जनता से रिश्ता

Janta se Rishta
24 Aug 2020 9:11 AM GMT
नापाक चेहरा  | जनता से रिश्ता
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अपने यहां दाऊद इब्राहिम की मौजूदगी को लेकर पाकिस्तान चौबीस घंटे के भीतर ही जिस तरह से पलटी मार गया, वह कोई हैरान करने वाली बात इसलिए नहीं है क्योंकि पाकिस्तान का शुरू से यही चरित्र रहा है। शनिवार को पाकिस्तान ने पहली बार यह कबूला कि दाऊद इब्राहिम उसी के यहां है और वहां उसकी संपत्तियां व बैंक खाते हैं। कराची के जिस घर में वह रहता है, उसका पता भी पाकिस्तान सरकार ने सार्वजनिक किया। यह भी बताया गया कि दाऊद के पास चौदह पासपोर्ट हैं।

पाकिस्तान सरकार की ओर से जारी अट्ठासी आतंकवादियों की सूची में भी दाऊद का नाम है। ये सब इस बात का प्रमाण हैं कि दाऊद पाकिस्तान में ही है और पूरी तरह से सरकार, सेना और आइएसआइ की सुरक्षा में रह रहा है। सवाल है कि पाकिस्तान पर अचानक ऐसा क्या संकट आया कि उसे अपने यहां दाऊद की मौजूदगी को दुनिया के समक्ष कबूलना पड़ा। और इससे भी बड़ा और चौंकाने वाला प्रश्न यह कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि इस कबूलनामे के तत्काल बाद पाकिस्तान अपनी बात से मुकर गया। क्या पाकिस्तान सरकार पर सेना और आइएसआइ का दबाव पड़ा?
यह कोई छिपी बात नहीं है कि पाकिस्तान दुनिया के उन चंद देशों में शीर्ष पर है जो आतंकवाद फैलाने के लिए जिम्मेदार माने जाते हैं। कहना न होगा कि आतंकवाद पाकिस्तान की सरकारी नीति का अभिन्न हिस्सा है। इसीलिए वहां बड़ी संख्या में आतंकी संगठन काम कर रहे हैं। पाकिस्तान अपने यहां आतंकियों और उनके सरगनाओं को किस तरह से सुरक्षित पनाह मुहैया कराता है, यह दुनिया अच्छी तरह जानती है।

अमेरिका पर 9/11 के हमले के साजिशकर्ता और अलकायदा सरगना उसामा बिन लादेन का मामला इस बात का प्रमाण है। लादेन पाकिस्तान के ऐबटाबाद में सेना मुख्यालय के पास बने एक घर में वर्षों से सुरक्षित रह रहा था और अमेरिका ने कार्रवाई करके उसे वहीं खत्म कर दिया था।
सवाल है कि क्या पाकिस्तान की सरकार और सेना को कभी इसकी भनक नहीं लगी कि सेना मुख्यालय जैसे संवेदनशील प्रतिष्ठान के पास अलकायदा का आतंकी रह रहा है। यही मामला दाऊद का भी है। मुंबई बम कांड के बाद भारत ने न जाने कितनी बार इस बात के पुख्ता सबूत दिए कि दाऊद पाकिस्तान में ही मौजूद है, लेकिन पाकिस्तान हुक्मरानों ने कभी इस बात को नहीं माना, बल्कि इसका खंडन ही किया गया। अब असलियत सामने है।

पिछले कुछ वर्षों से अमेरिका और पश्चिमी देशों के दबाव में पाकिस्तान पर भारी दबाव है कि वह अपने यहां मौजूद आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करे। वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) ने उस पर कड़ा शिकंजा कस रखा है और निगरानी सूची में डाल रखा है। अब खतरा जल्दी ही काली सूची में डाले जाने का मंडरा रहा है। अगर ऐसा हुआ तो पाकिस्तान को हर तरह से मिलने वाली अंतरराष्ट्रीय मदद बंद हो जाएगी।
इसीलिए पाकिस्तान अब आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई का दिखावा कर रहा है। शनिवार को पंजाब के तरनतारन जिले में पाकिस्तान की ओर से घुसपैठ कर रहे पांच लोगों को सीमा सुरक्षा बल ने मार गिराया। इसके अलावा दिल्ली को विस्फोट से दहलाने के मकसद से घुसा इस्लामिक स्टेट का आतंकी भी पकड़ गया। इन दोनों के तार पाकिस्तान से जुड़े हैं। यह तो साफ है कि पाकिस्तान भले कितने दावे करे कि वह भारत के साथ शांति चाहता है, लेकिन घुसपैठ और विस्फोट की साजिशें उसकी मंशा को बताने के लिए काफी हैं।

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