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पृथ्वी पर चलने वाला है नासा के पर्सिवियरेंस रोवर का जुड़वा, जानें इससे यह होगा फायदा
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| इस समय अमेरिका की स्पेस एजेंसी, नासा का महत्वाकांक्षी पर्सवियरेंस रोवर मंगल की ओर जा रहा है. यह अत्याधुनिक अति जटिल मशीन को लेकर सबसे बड़ी चुनौती यही है कि उसे मंगल के वातावरण में बिना किसी मैकेनिक के अपने सारे वांछनीय कार्य करने हैं. इसके लिए नासा ने भी एक व्यवस्था की हुई है. नासा ने बिलुकल पर्सवियरेंस के जैसा एक और जुड़वा रोवर बनाया है और वह पृथ्वी पर चलेगा जिससे मंगल पर असली पर्सवियरेंस रोवर के सामने कोई समस्या आने पर उससे निपटा जा सके.
क्या नाम है इस रोवर का
नासा ने इस रोवर को एक नाम भी दिया है. ऑप्टिमिज्म (OPTIMISM) जो कि ऑपरेशनल पर्सिवियरेंस ट्विन फॉर इंटीग्रेशन ऑफ मैकेनिज्म एंड इंस्ट्रूमेंट्स सेंट टू मार्स का छोटा रूप है. ऑप्टिमिज्म पर्सिवियरेंस का जुड़वा भाई कहा जा रहा है जो पूरी तरह से नासा के पर्सवियरेंस संबधी अभियान का हिस्सा ही है.
मंगल के जैसे वातावरण में करेगा काम
नासा ने शुक्रवार को बताया कि ऑप्टिमिज्म अगले सप्ताह दक्षिणी कैलीफोर्निया में नासा के जेट प्रपस्शन लैबोरेटरी के अपने गैराज से निकल कर मार्स यार्ड में जाएगा. मार्स यार्ड लैब का वह खास क्षेत्र है जहां बिलकुल मंगल जैसे वातावरण है जिसमें खास तौर पर जमीनी हालात शामिल हैं. यानि कि ऑप्टिमिज्म को वैसा ही माहौल मिलने वाला है जैसे कि मूल पर्सिवियरेंस को मंगल पर मिलेगा.
पहला ड्राइविंग टेस्ट पासनासा ने बताया कि पृथ्वी का यह रोवर मॉडल इस सप्ताह जेपीएल के वेयरहाउस जैसे असेंबली रूम में अपना पहला ड्राइविंग टेस्ट भी पास कर चुका है. जेपीएल के एक इंजीनियर का करना है कि ऑप्टिमिज्म पर्सिवियरेंस के मंगल के अभियान की क्रियाओं का बहुत ही नजदीकी सिम्यूलशन होगा. इसके चक्के, आंखें, दिमाग सभी कुछ बिलकुल पर्सिवियरेंस के जैसा है.जानिए क्यों हैं नासा को अपने पर्सिवियरेंस रोवर से इतनी उम्मीदेंसॉफ्टवेयर टेस्टिंग में उपयोगी बताया जा रहा है कि ऑप्टिमिज्म सॉफ्टवेयर टेस्टिंग में मामले में खास तौर पर उपयोगी होगा जो वास्तविक पर्सिवियरेंस में उपयोग में लाए जाएंगे. यह पूरी तरह से आकार, वजन, सिस्टम, चलने की गति और अन्य उपकरण वगैरह के मामलों में पर्सिवियरेंस की ही तरह है.
कब मंगल पर पहुंचेगा पर्सवियरेंस
इसी साल 30 जुलाई को नासा ने पर्सिवियरेंस का सफल प्रक्षेपण किया था. यह 18 फरवरी 2021 को मंगल के जजीरो क्रेटर पर उतरेगा और वहां बहुत सारे ऐसे प्रयोग करेगा जो आने वाले समय में नासा के मंगल और दूसरे अभियानों में काम आएंगे. जिसमें लंबे अभियानों में मानव को भेजने वाले अभियान भी हैं. पर्सिवियरेंस के अधिकतर परीक्षण नासा के मंगल पर इंसान भेजने के अभियान की भूमिका तय करेंगे.
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क्या काम करने हैं पर्सवियरेंस को
इन परीक्षणों में मंगल की सतह और उसके नीचे पानी की तलाश, सतह के नीचे जीवन के अस्तित्व के होने की प्रमाणिक जांच, मंगल के वायुमंडल की कार्बन डाइऑक्साइड से ऑक्सीजन का निर्माण, वहां के मौसम की विस्तृत जानकारी भी शामिल हैं. इसके अलावा पर्सिवियरेंस को मंगल पर वहां से मिट्टी के नमूनों को भी जमा करना है जिसे पृथ्वी पर लाया जाएगा.