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नए शोध में वैज्ञानिकों ने खोजा सौर उर्जा को सोखकर अवेशोषित करने वाला अणु
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| नसौर ऊर्जा पर दुनिया में बहुत ध्यान दिया जा रहा है. ऊर्जा के इस अक्षय स्रोत को लेकर सबसे बड़ी चुनौती इसका आसान और सस्ता दोहन ही है जिस पर तमाम तरह के शोध चल रहा है. इसी दिशा में एक चौंकाने वाले शोध में निंकोपिंग यूनिवर्सिटी,स्वीडन के शोधकर्ताओं ने एक नए तरह का अणु विकसित किया है. यदि विशेषज्ञों की मानें तो इस अणु में सौर ऊर्जा को कारगर तरीके से कैद करके सहेज कर रखने की क्षमता है.
कैसे स्थिर होती है ऊर्जा
नैनोवेर्क में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार यह अणु सौर ऊर्जा को अवशोषित करके इस कैमिकल बॉन्ड्स में स्थिर कर देता है जिसका उपयोग बाद में किया जा सकता है. इस अध्ययन की पड़ताल जर्नल ऑफ द अमेरिकन कैमिकल सोसाइटी में प्रकाशित हुआ है.
दो अलग प्रारूप
इस अध्ययन के बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए प्रमुख शोधकर्ता और लिंकोपिंग यूनिवर्सिटी में फिजिक्स कैमिस्ट्री और बायोलॉजी विभाग के प्रोफेसर बो दूरबीज ने बताया, “हमारा अणु दो अलग रूप धारण कर सकता है, एक पैरेंट प्रारूप का जिसमें वह सूरज से ऊर्जा अवशोषित करता है, लेकिन दूसरे प्रारूप में उसकी संरचना बदल जाती है और वह स्थायी रहते हुए ही और उर्जा संपन्न हो जाता है. इससे यह पूरी तरह से मुमकिन हो जाता है कि इसमें ऊर्जा को कारगर तरीके से भंडारण कर रखा जा सकता है.
यह मुश्किल काम करता है अणु
इस अध्ययन में बताया गया है कि पृथ्वी जितना की हम उससे ऊर्जा लेते हैं, कहीं ज्यादा सूर्य से ऊर्जा लेती है. यह सौर ऊर्जा कई तरह के उपकरणों और वस्तुओं में अवशोषित हो जाती है, लेकिन असल चुनौती इस ऊर्जा को कारगर तरीके से सहेजना है.
खास तरह का अणु समूह
यह अणु एक खास समूह के अणुओं का है जिसे मॉलीक्यूलर फोटो स्विचेस कहते हैं. इस प्रकार के अणु दो प्रकार के पाए जाते हैं और दोनों की ही अलग विशेषताएं होती है. सभी फोटोस्विचेस की रासायनिक संरचना प्रकाश की ऊर्जा से प्रभावित होती है. इसका मतलब यह होता है कि संरचना और इन फोटो स्वेचेस के गुण प्रकाश बदलने से बदले जा सकते है.
सौर ऊर्जा ही सबसे प्रचुर और अक्ष्य ऊर्जा का साधन माना जाता है.
आम अणुओं से कैसे है ये अलग
इस अणु में बड़े पैमाने पर सौर ऊर्जा का भंडारण करने के लिए विशेषज्ञों ने कई तरह की प्रक्रियाओं का आजमाया. इसमें पेरैंट फॉर्म ही सबसे अधिक स्थायी रहा. बो दूरबीज का कहना है कि जब दूसरे अणु उन हालातों में अपनी रासायनिक क्रियाएं शुरू करते हैं, जहां अणु की ऊर्जा अधिक हो जाती है और वे अपनी ऊर्जा कम ऊर्जा वाले अणु को दे देते हैं. इन अणुओं की प्रक्रिया दूसरी होती है. इन अणुओं में ऊर्जा कम होती है और ये अधिक ऊर्जा में बदलते हैं.
अभी तक सौर ऊर्जा को तेजी और आसानी से अवशोषित कर उसे उपयोग करने के तरीके के साथ ही सबसे बड़ी समस्या रहती थी. इसके लिए कई तरह की सौर सेल और सोलर पैनल बनाए जा चुके हैं. लेकिन इसे सीधे तौर पर सौर ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में भंडारण करने का पहला तरीका बताया जा रहा है.