अमेरिका के पूर्व राष्ट्र्रपति निक्सन ने भारतीय महिलाओं को बताया था 'दुनिया में सबसे कुरूप', टेप में हुआ खुलासा
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। न्यूयार्क, अमेरिका में राष्ट्रपति चुनावों की तैयारियों के बीच राजनीतिक पार्टियां डेमोक्रेट और रिपब्लिकन द्वारा एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। एक ओर जहां डेमोक्रेट नस्लीय भेदभाव को लेकर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर दोष मढ़ रहे हैं वहीं ट्रंप ने पूर्व राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन का नाम लिया है। दरअसल, व्हाइट हाउस में नए टेपों के जरिए यह खुलासा हुआ है कि पूर्व राष्ट्रपति निक्सन के दिल में भारतीयों के प्रति घृणा और नफरत भरा था। द न्यूयार्क टाइम्स में 'द टेरिबल कॉस्ट ऑफ प्रेसिडेंशियल रेसिज्म' ओपिनियन में प्रिंसटन प्रोफेसर ऑफ इंटरनेशनल रिलेशंस और लेखक गैरी जे. बास द्वारा अमेरिकी टेप के हवाले से लिखा गया है कि निक्सन ने भारतीय महिलाओं पर कई आपत्तिजनक टिप्पणियां भी की थीं।
दक्षिण एशिया के प्रति अमेरिकी नीति नहीं थी अच्छी
बास के अनुसार, तत्कालीन रक्षा सलाहकार किसिंजर भी भारत के बारे में अच्छी राय नहीं रखते थे। उन्होंने निक्सन से कहा था कि भारतीय चापलूस किस्म के होते हैं और इसलिए भारतीय बुरे वक्त में भी 600 वर्षो तक जीवित बचे रहे। निक्सन ने किसिंजर से भारतीयों के प्रति अपने यौन घृणा का भी खुलासा किया और कहा, 'टू मी, दे टर्न मी ऑफ।' ' द ब्लड टेलीग्राम: निक्सन, किसिंजर एंड ए फॉरगाटन जिनोसाइड' के लेखक बास ने टेपों के हवाले से बताया, 'इनमें मौजूद पूरा कंटेंट यह बताता है कि निक्सन के शासन काल में किस तरह दक्षिण एशिया के प्रति अमेरिकी पॉलिसी निक्सन की भारत के प्रति नफरत वाले भाव के कारण प्रभावित थी।'
1969 से 1974 तक राष्ट्रपति थे निक्सन
अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हेनरी किसिंजर तीन जून, 1971 को लाखों बंगाली शरणार्थियों को पनाह देने के लिए भारत और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ थे। उस समय हेनरी और तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने बंगाली विद्रोह के शरणार्थी प्रवाह के लिए इंदिरा को दोषी माना था। जून 1971 में निक्सन, किसिंजर और व्हाइट हाउस के चीफ ऑफ स्टाफ एच. आर. हेडलमैन के बीच बातचीत में भी भारतीयों के प्रति निक्सन की मानसिकता का पता चलता है। रिपब्लिकन रिचर्ड निक्सन ( Richard Nixon) अमेरिका के 37वें राष्ट्रपति थे। देश में 1969 से 1974 तक उनका शासन रहा।