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चिठ्ठी कांड के बाद कांग्रेस में घमासान, उन्ही में से एक नेता ने कहा- राहुल के नेतृत्व में पार्टी को 2024 के चुनाव में जीत मिलना मुश्किल...

Janta se Rishta
29 Aug 2020 2:40 AM GMT
चिठ्ठी कांड के बाद कांग्रेस में घमासान, उन्ही में से एक नेता ने कहा- राहुल के नेतृत्व में पार्टी को 2024 के चुनाव में जीत मिलना मुश्किल...
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क, नई दिल्ली । कांग्रेस पार्टी (Congress) में घमासान लगातार जारी है. जिन 23 नेताओं ने पार्टी में बड़े बदलाव की मांग को लेकर अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) को चिट्ठी लिखी थी वो अब भी लगातार जुबानी हमला कर रहे हैं. अब इनमें से एक नेता ने कहा है कि पिछले दो लोकसभा चुनावों में करारी हार के बाद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के नेतृत्व में पार्टी को आगे भी जीत की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए. उन्होंने एक बार फिर से कहा कि पार्टी में बड़े पैमाने पर बदलाव की जरूरत है.

क्या 2024 में मिलेगी जीत?
एनडीटीवी से बातचीत करते हुए चिट्ठी लिखने वाले एक नेता ने नाम न बता की शर्त पर कहा, ' हमलोग इस हालत में नहीं है कि ये कह सकें कि 2024 के चुनाव में राहुल गांधी के नेतृत्व में हमें 400 सीटों पर जीत मिलेगी. हमें इस बात का एहसास होना चाहिए कि 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में पार्टी को जरूरत के मुताबिक सीटें नहीं मिल पाई हैं.' बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया था.

'पार्टी में बड़े बदलाव की जरूरत'
इस नेता ने भी कहा कि चिट्ठी लिखने वालों में से ज्यादातर का कहना है कि वो लंबे वक्त से राजनीति में हैं और वो पार्टी के लिए काम करना चाहते हैं. उन्होंने ये भी कहा कि वे सब सोनिया गांधी का सम्मान करते हैं. लेकिन पार्टी में बड़े बदलाव की जरूरत है. उन्होंन कहा, 'नागपुर से लेकर श‍िमला तक पार्टी के सिर्फ 16 सांसद हैं, जिनमें से भी 8 अकेले पंजाब से हैं. हमें मान लेना चाहिए कि हम भारत में हैं और वास्तविकता कुछ और है. अगर कोई बैठक होती है तो मैं इस मुद्दे पर अपने विचार जरूर रखूंगा.'

असंतुष्ट नेताओं सोनिया का कड़ा संदेश
बता दें कि जिन 23 असंतुष्ट नेताओं ने अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिख कर पार्टी में बड़े बदलाव की मांग की थी वो अब निशाने पर आ गए हैं. दरअसल गुरुवार को कांग्रेस ने संसद से जुड़े विषयों पर पार्टी की रणनीति तय करने के लिए 10 सदस्यीय समिति बनाई. इसमें दोनों सदनों के पांच-पांच सदस्यों को शामिल गया है. लेकिन इस समिति से कई बड़े नेताओं को नजरअंदाज कर दिया गया है.

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