COVID-19

चीन की फरार वायरॉलजिस्ट ने पेश किये सबूत...जानें वुहान लैब में कैसे पैदा हुआ था कोरोना वायरस

Janta se Rishta
16 Sep 2020 11:17 AM GMT
चीन की फरार वायरॉलजिस्ट ने पेश किये सबूत...जानें वुहान लैब में कैसे पैदा हुआ था कोरोना वायरस
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क | पेइचिंग: कोरोना वायरस के वुहान के एक सैन्‍य लैब में पैदा होने का आरोप लगाने वाली चीन की मशहूर वायरॉलजिस्ट डॉ. ली-मेंग यान ने अपने इस सनसनीखेज दावे के समर्थन में 'सबूत' पेश किए हैं। डॉक्‍टर यान ने एक रिपोर्ट प्र‍काशित की है। हॉन्‍ग कॉन्‍ग स्‍कूल ऑफ पब्लिक हेल्‍थ में कथित रूप से शोध कर चुकीं डॉक्‍टर यान ने कहा कि कोरोना वायरस को दो चमगादड़ों के जेनेटिक मैटेरियल को मिलाकर तैयार किया गया है।

डॉक्‍टर यान ने कहा कि कोरोना वायरस के स्‍पाइक प्रोटीन को बदलकर उसे आसान बनाया गया ताकि वह ह्यूमन सेल में चिपककर बैठ जाए। उधर, अन्‍य वैज्ञानिकों ने डॉक्‍टर यान के इस दावे पर सवाल उठाए हैं। वैज्ञानिकों ने इस रिपोर्ट को अप्रमाणित करार दिया और कहा कि इसे कोई विश्‍व‍सनीयता नहीं दी जा सकती है। उन्‍होंने कहा कि शोध पत्रों में पहले यह जा चुका है कि कोरोना वायरस का जन्‍म चमगादड़ों से हुआ है और इसे इंसानों के बनाए जाने के कोई सबूत नहीं हैं।

यह शोध किसी भी वैज्ञानिक जर्नल में प्रकाशित नहीं हुआ
चीन की फरार वायरॉलजिस्ट का यह शोध किसी भी वैज्ञानिक जर्नल में प्रकाशित नहीं हुआ है और न ही इसकी किसी ने समीक्षा की है। इसका मतलब यह हुआ कि डॉक्‍टर यान के शोध को वैज्ञानिकों ने तो जांच की है और न ही उसे अपनी स्‍वीकृति दी है। बता दें कि कोरोना वायरस महामारी को लेकर चीन पर साजिश का आरोप लगता रहा है। इन्‍हीं आरोपों के बीच डॉक्‍टर यान ने पिछले दिनों कहा था कि वह इसके सबूत भी पेश करेंगी और साबित करेंगी कि वायरस इंसानों का बनाया था।

'वुहान लैब से आया है वायरस'
डॉ. यान ने कहा, 'पहली बात तो यह है कि वुहान के मीट मार्केट को पर्दे के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है और वायरस प्राकृतिक नहीं है।' जब उनसे पूछा गया कि वायरस कहां से आया तो उन्होंने कहा कि वुहान के लैब से। उन्होंने कहा, 'जीनोम सीक्वेंस इंसानी फिंगर प्रिंट जैसा है। इस आधार पर इसकी पहचान की जा सकती है।' डॉ. यान ने दावा किया कि उनकी जानकारी चीन के डेटाबेस से हटा दी गई है। उनके साथियों को उनके बारे में झूठी खबरें फैलाने के लिए कहा है। उनका कहना है कि कोरोना वायरस को स्टडी करने वाले पहले वैज्ञानिकों में से एक वह हैं।

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