
रेड लाइट एरिया में बदला माहौल...कोरोना काल में देश के इस रेड लाइट एरिया में मास्क से लेकर सैनिटाइजर है जरुरी...पढ़े हैरान करने वाली बातें

कुछ ही महीनों में कोरोना ने पूरी दुनिया को तबाह कर दिया है। इस वायरस ने दुनिया के कई देशों को बर्बाद कर दिया। अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश को भी कोरोना ने तबाह कर दिया। हर तरफ लाशों के ढेर नजर आ रहे हैं। ये वायरस किसी को भी अपनी चपेट में ले सकता है। इससे बचने का कोई भी तरीका सामने नहीं आया है। दुनिया के कई साइंटिस्ट इस वायरस का इलाज ढूंढने में लगे हैं। लेकिन अभी तक इसमें सफलता नहीं मिली है। इस बीच इससे बचाव के लिए कई देशों ने लॉकडाउन लगाया था लेकिन अब धीरे-धीरे इसमें छूट दी जाने लगी है। भारत में इन दिनों जैसे-जैसे लॉकडाउन में छूट मिल रही है कोरोना पॉजिटिव के मामले बढ़ते जा रहे हैं। भारत में अब जाकर 5 अगस्त से जिम खोलने की घोषणा की गई है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत के पुणे राज्य में एशिया के दूसरे सबसे बड़े रेड लाइट एरिया को खोल दिया गया है।
एक लाख अस्सी हजार से ज्यादा मरीजों के साथ पुणे देश का सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमितों वाला शहर बन चुका है। बाकी दुनिया की तरह महामारी ने यहां रहने वालों की लाइफस्टाइल बदलकर रख दी है। बदलाव देश के तीसरे सबसे बड़े रेड लाइट एरिया यानी बुधवार पेठ में भी देखने को मिल रहा है।
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार कोरोना संक्रमण रोकने के लिए प्रशासन, एनजीओ और यहां रहने वाली सेक्स वर्कर महिलाओं की ओर से जरूरी ऐहतियात बरती जा रही हैं। लॉकडाउन लगने के 4 महीनों तक एक भी केस सामने नहीं आया था। पर अब आने लगे हैं, पिछले कुछ दिन में ही 40 से ज्यादा केस सामने आए हैं। हालांकि, अब एक्टिव केस सिर्फ 15 ही बचे हैं।
अनलॉक-1 के ठीक बाद यहां नियमों के साथ देह व्यापार को फिर से शुरू करने की मंजूरी दे दी गई थी। हालांकि, 5 पॉजिटिव केस सामने आने के बाद जुलाई के आखिरी सप्ताह में इसे 15 दिनों के लिए बंद करना पड़ा। अब हालात फिर से सामान्य हो चुके हैं।
"जब इन औरतों के लिए भूख से मरने की नौबत आ गई तो इन्होंने संक्रमण से बचने के लिए वीडियो कॉल के जरिए या ‘फोन सेक्स' का विकल्प भी आजमाना शुरू कर दिया। ये गूगल पे या पेटीएम के जरिए पैसे ले रही हैं।’ बुधवार पेठ में 7 साल से बतौर सेक्स वर्कर काम करने वाली पूजा (बदला हुआ नाम) कहती हैं, "ऐसी परेशानी हमने नोटबंदी के समय भी नहीं देखी थी। हमारा इलाका सील था। हम घरों में कैद थे, बाहर सामान लाने भी नहीं जा सकते थे। कमाई पूरी तरह से बंद हो गई थी। हमने भी तय किया था कि हम अपनी खातिर दूसरे की जान खतरे में नहीं डालेंगे।"
इसके बाद उन्होंने वहां मौजूद एक महिला को चुना और उन्हें लेकर एक कमरे की और जाने लगे। महिला उन्हें लेकर एक बाथरूम में गई और वहां उन्हें नहाने के लिए कहा।
शख्स ने बताया कि यहां पुलिस की कड़ाई की वजह से वायरस का संक्रमण नहीं फैला। यहां 4-5 संस्थाओं ने मिलकर राशन बांटने और सब्जियां और फल देने का काम किया। जिनकी तबियत खराब होती है उसे अलग-अलग हॉस्पिटल में ले जाया गया। वे पिछले 6 महीने से लगातार सभी के स्वास्थ्य की देखभाल की जिम्मेदारी निभा रहे हैं।
https://youtu.be/wXzR7O_gzBw