
निम्बू-वंश का सबसे बड़ी जाति चकोतरा और अंगूरफल, जानिए इतने टेस्टी और फायदेमंद कैसे

जनता से रिश्ता वेबडेस्क|चकोतरा निम्बू-वंश का एक फल है, जो उस वंश की सबसे बड़ी जातियों में से एक है। हालांकि निम्बू-वंश के बहुत से फल दो या उस से अधिक जातियों के संकर (हाइब्रिड) होते हैं, चकोतरा एक शुद्ध प्राकृतिक जाति है। इसके कच्चे फल का रंग हरा, और पके हुए का हल्का हरा या फिर पीला होता है। पूरा बड़ा होने पर इसके फल का व्यास (डायामीटर) १५-२५ सेमी और वज़न १ से २ किलोग्राम होता है। इसके स्वाद में खटास और कुछ मीठापन तो होता है, लेकिन कड़वाहट नहीं। चकोतरा मूलतःभारतीय उपमहाद्वीप और दक्षिणपूर्वी एशिया क्षेत्र की जन्मी हुई जाति है।
अनुक्रम
- 1दवाओं के साथ लेने में ख़तरा
- 2चकोतरा के फायद
- 3इन्हें भी देखें
- 4सन्दर्भ
दवाओं के साथ लेने में ख़तरा
वैसे तो चकोतरा स्वस्थ व्यक्तियों के लिए लाभदायक माना जाता है, लेकिन चकोतरे के रस में कुछ ऐसे रसायन हैं जो कुछ दवाओं का असर को कम कर देते हैं या उनसे मिलकर शरीर में हानिकारक रासायनिक यौगिक बना देते हैं:
- टैमोक्सिफ़ेन (Tamoxifen) - यह एक कर्क रोग (कैन्सर) की दवा है और चकोतरा खाने से इसके प्रभाव में कमी आ सकती है।[2]
- स्टैटिन (Statin) - यह कई प्रकारों व नामों से बिकने वाली कोलेस्टेरॉल कम करने की औषधि है जिसे हृदय रोग से बचने के लिए लिया जाता है। चकोतरा इसका प्रभाव कम करता है। कुछ स्टैटिन दवाएँ ऐसी हैं जिनपर चकोतरे का कोई असर नहीं होता।
- कोडीन (Codeine) - यह दर्द और भारी ख़ासी से राहत देने की दवा है जिसका पीढ़ा-विरोधी प्रभाव चकोतरे से कम हो जाता है।
- पैरासिटामोल (Acetaminophen / paracetamol) - चकोतरा खाने से रक्त में पैरासिटामोल का संकेंद्रण (कान्सेन्ट्रेशन) बढ़ सकता है। यह यकृत (लीवर) के लिए हानिकारक हो सकता है।[3]
- ऐम्लोडीपीन / ऐम्लोगार्ड (Amlodipine / Amlogard) - चकोतरे से इस दवा का रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) कम करने का प्रभाव बिना चेतावनी के अचानक बढ़ सकता है, यानि रक्तचाप में अत्याधिक कमी आ सकती है।
यह कुछ ही दवाएँ हैं जिनपर चकोतरे का असर होता है। ऐसी और भी दवाएँ हैं जो इस सूची में शामिल नहीं।
चकोतरा के फायद
- बुखार के लिए :- चकोतरा में प्राकृतिक रूप से किनीन होता है। जो मलेरिया बुखार में बहुत लाभदायक होता है। बुखार से छुटकारा पाने के लिए चकोतरा का नियमित रूप से सेवन करना चाहिए।
- गठिया के लिए :- गठिया जैसी समस्याओं के लिए चकोतरा फल बहुत अच्छा माना जाता है। इसमें प्रचुर मात्रा में कैल्शियम होता है। जो हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद व गठिया रोग को दूर करता है
- पांचन क्रिया ठीक रखने के लिए :- पांचनक्रिया को ठीक रखने चकोतरा अन्य फलो के मुकाबले हल्का होता है। जो आसानी से पेट में पच जाता है शरीर में पांचन किया को ठीक रखने में मदद करता है। जिससे पेट सम्बंधित अन्य विकार नहीं होता है।
पोषण से जुड़ी जानकारी चकोतराचकोतरास्रोतों में ये शामिल हैं
मात्रा प्रति 100 g100 g कैलोरी (kcal) 42
कुल वसा 0.1 g संतृप्त वसा 0 g बहुअसंतृप्त वसा 0 g मोनोअसंतृप्त वसा 0 g कोलेस्टेरॉल 0 mg सोडियम 0 mg पोटैशियम 135 mg कुल कार्बोहायड्रेट 11 g आहारीय रेशा 1.6 g चीनी 7 g प्रोटीन 0.8 g
विटामिन ए 1,150 IU विटामिन सी 31.2 mg कैल्सियम 22 mg आयरन 0.1 mg विटामिन डी 0 IU विटामिन बी६ 0.1 mg विटामिन बी१२ 0 µg मैग्नेशियम 9 mg
अंगूरफल या ग्रेपफ्रूट (वैज्ञानिक नाम: Citrus × paradisi) एक उपोष्णकटिबंधीय नींबूवंशी (सिट्रस) पेड़ है जो इसके खट्टे से लेकर खट्टे-मीठे और कुछ-कुछ कड़वे स्वाद वाले फलों के लिए जाना जाता है। संतरे (C. sinensis) और चकोतरे (C. maxima) के मेल से बनी यह संकर प्रजाति संयोग से ही अस्तित्व में आई जब सत्रहवीं शताब्दी में बारबाडोस में इन दो प्रजातियों को एशिया से यहाँ लाया गया था। जब इस संयोग का पता चला तो इस फल को "वर्जित फल" नाम दिया गया; और इसे चकोतरा की एक किस्म भी माना गया।
अंगूर की तरह गुच्छों (फल के समूहों) में विकसित होकर पेड़ से लटकने के कारण इसे अंगूरफल का नाम दिया गया।
विवरण
अंगूरफल का पेड़ सदाबहार होता है और लगभग 5-6 मीटर (16-20 फीट) की ऊंचाई तक बढ़ता है, हालांकि ये 13-15 मीटर (43-49 फीट) तक पहुंच सकते हैं। इसके पत्ते चमकदार गहरे हरे, लंबे (15 सेंटीमीटर (5.9 इंच)) और पतले होते हैं।
इसके चार पंखड़ी वाले फूल 5 सेमी (2 इंच) आकार के होते हैं। इसके फलों का छिलका पीला-नारंगी रंग का होता है और आकार आम तौर पर आंशिक तिरछा-गोलाकार होता है; जिसका व्यास 10-15 सेमी (3. 9-5.9 इंच) का होता है। इसका गूदा फांकों में विभाजित और स्वभाव से अम्लीय होता है।
गूदे का रंग और मिठास इसकी किस्म के आधार पर भिन्न हो सकते हैं, जहां गूदा सफेद, गुलाबी और लाल हो सकता है तो मिठास गूदे के रंग के अनुसार बदलती है आमतौर पर गूदा जितना लाल होता है स्वाद उतना ही मीठा होता हैं। 1929 में अमेरिकी रूबी रेड (रेडब्लश किस्म) को पहला अंगूरफल पेटेंट मिला था।
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