छत्तीसगढ़

कर्मयोगी थे बिरजू भैया...

Janta se Rishta
14 Sep 2020 4:03 PM GMT
कर्मयोगी थे बिरजू भैया...
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सन् एंड सन् ग्रुप की आधारशिला रखने वाले बृजमोहन शर्मा उर्फ बिरजू भैया का विगत 4 सितंबर 2020 को देवलोक गमन हो गया। बिरजू भैया का न सिर्फ छत्तीसगढ़ में आयुर्वेद चिकित्सा प्रणाली को एक नई ऊंचाई देने में महत्वपूर्ण योगदान रहा, अपितु उन्होंने समाजसेवा में आगे रहकर एक से बढ़कर एक कई मिसालें पेश की थी। अंतिम सांसों तक वे कर्मक्षेत्र में डटे रहे। बिरजू भैया के करीब रहे वो हजारों लोग उनके जाने के बाद जो रिक्तता महसूस कर रहे हैं उसकी भरपाई हो पाना असंभव है। बृजमोहन शर्मा का जन्म 27 अक्टूबर 1942 को राजस्थान के सीकर जिला अंतर्गत आने वाले ग्राम पाटन में हुआ था। वे सात भाई बहनों में तीसरे क्रम की संतान थे। उनकी स्कूली शिक्षा राजस्थान में हुई। व्यावसायिक कारणों से इनके पिता स्व. भूरेलाल शर्मा का 1940 में छत्तीसगढ़ आना हुआ। बृजमोहन शर्मा ने इलाहाबाद से आयुर्वेद की शिक्षा ग्रहण की। पढ़ाई पूरी होने के बाद वे पूरी तरह आयुर्वेद के क्षेत्र में समर्पित हो गए। उन्हें आयुर्वेद रत्न तथा आयुर्वेदाचार्य जैसी उपाधि मिली। वे लंबे समय तक हिन्दी विश्वविद्यालय के मध्यप्रदेश (तब छत्तीसगढ़ राज्य नहीं बना था) हेड रहे थे। उनके मार्गदर्शन में मध्यप्रदेश में कितने ही लोगों ने वैद्य की परीक्षा पास की। उनसे प्रेरणा पाकर वैद्य बने लोग न सिर्फ छत्तीसगढ़ के शहरों बल्कि गांव-गांव में मिल जाएंगे। सन् 1960 में बिरजू भैया ने खुद की श्री शर्मा आयुर्वेदिक फार्मेसी की बुनियाद रखी। इन्होंने परिवार के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर सन् 2001 में सन् एंड सन् ज्वेलर्स की बुनियाद रखी। बिरजू भैया के दिखाए रास्ते पर चलते हुए सन् 2002 में सन् एंड सन् ग्रुप ने कंस्ट्रक्शन के क्षेत्र में भी कदम रखा। आज रियल स्टेट के क्षेत्र में सन् एंड सन् काफी बड़ा नाम है। सन् एंड सन् का सफर यहीं तक सीमित नहीं रहा। बृजमोहन जी के मार्गदर्शन में ग्रुप ने 2001 में कोल्ड स्टोरेज की भी स्थापना की। बड़ा मोड़ तो उस वक्त आया जब 2017 में सन् एंड सन् ने फ्रुट के कोल्ड स्टोरेज की तरफ भी कदम बढ़ा दिया।

बिरजू भैया कुशल व्यवसायी होने के साथ जिस तरह समाजसेवा में अग्रणी रहे उसकी अनेक मिसालें दी जाती रही हैं। उनकी बड़ी खासियत थी कि वे जीवन भर आत्म प्रचार से दूर रहे। बिरजू भैया के करीब रहे कुछ लोग पुराने संस्मरणों को याद करते हुए बताते हैं कि सेवाभाव के कारण समाज के हर तबके से उनका जीवंत सम्पर्क बने रहा था। एक बार शहर के एक प्रतिष्ठित हॉस्पिटल में गर्मी के दिनों में पानी का भारी संकट खड़ा हो गया। बिरजू भैया वहां तब तक पानी टैंकर भिजवाते रहे जब तक समस्या दूर नहीं हो गई। एक बैंक कर्मचारी के दो पहिया वाहन का लाइसेंस बनने में वक्त लग रहा था। बैंक कर्मचारी बिरजू भैया का परिचित था। एक दिन उसने आप बीती सुनाई। बिरजू भैया उसे लेकर सीधे तेलीबांधा स्थित आरटीओ दफ्तर पहुंच गए। उस समय के वर्तमान में आरटीओ अफसर थे, जो कि बिरजू भैया के मित्र भी थे। उन्होंने अपने मित्र को अचानक देख पूछा, यहां कैसे। बिरजू भैया ने कहा कुछ नहीं ये बैंक वाले भाई साहब के लाइसेंस के सिलसिले में आया था। आफिसर सर ने कहा- इतने से काम के लिए आप को क्यों आना पड़ा। यह काम पूरे अधिकार के साथ आप मुझे फोन पर भी तो बता सकते थे। बिरजू भैया ने कहा- अपने साथी के किसी काम के लिए यहां तक आना मेरा कर्तव्य था, फिर आप जैसे परम् मित्र से मुलाकात करने का भी तो मन था। ऐसी सरलता और सहजता थी उनमें। राजधानी रायपुर के प्राचीन मोहल्ले बूढ़ापारा के एक शख्स ने एक पुरानी याद को साझा करते हुए बताया कि बिरजू भैया के घर के आसपास की सफाई का काम पिछले कई सालों से नगर निगम का एक सफाई कर्मचारी करते आ रहा था। सफाई कर्मचारी के बेटे की शादी लगी। वह बिरजू भैया के पास निमंत्रण कार्ड लेकर पहुंचा और आने का निवेदन किया। सफाई कर्मचारी के यहां आयोजित शादी समारोह में बिरजू भैया ने न सिर्फ अपने बेटे को भेजा, अपितु खुद भी पहुंचे। बिरजू भैया को सामने देखकर सफाई कर्मचारी की आंखों में आंसू आ गए। वह इस बात को महसूस कर पा रहा था कि सामने खड़ा व्यक्ति न सिर्फ धन बल्कि मन से भी बड़ा अमीर है। रायपुर के न जाने कितने ही रिक्शा चालकों को बिरजू भैया ने फाइनेंस करवा कर रिक्शा दिलवाया, ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें। आयुर्वेद के साथ पर्यावरण के प्रति उनका गहरा प्रेम था। भनपुरी में अपनी दवा फैक्ट्री के अलावा शहर की सीमा के बाहर सन् एंड सन् के जितने भी उपक्रम हैं वहां उन्होंने बड़ी संख्या में वृक्ष लगवाए। शर्मा परिवार की नई पीढ़ी के अनुसार उन्होंने 80 हजार से अधिक वृक्ष लगवाए। डूमरतराई एवं उपरवारा जैसे स्थान जिनका कि शर्मा परिवार से सीधा संबंध है, इन्होंने वहां के विकास के लिए कई काम करवाए। रायपुर शहर में 12 से अधिक स्थानों पर उन्होंने वॉटर कूलर लगवाए ताकि गर्मी के दिनों में राहगीरों की प्यास बूझ सके।

रायपुर शहर के पुराने लोग इस बात को जानते हैं कि बिरजू भैया का सभी समाज के लोगों से बड़ा प्रेम था। एक बार प्रतिष्ठित पार्टी के द्वारा रायपुर की एक सीट से बिरजू भैया के पास चुनाव लड़ने का प्रस्ताव आया। उन्होंने प्रस्ताव को यह कहते हुए विनम्रतापूर्वक अस्वीकार कर दिया कि मैं अपने घर परिवार व्यवसाय एवं समाजसेवा में ही ठीक हूं। रायपुर के मालवीय रोड में स्थित श्री शर्मा औषधालय में कई पूर्व एवं वर्तमान मंत्रियों की बिरजू भैया से आत्मीय मूलाकातें हुआ करती थीं। शहर के कई वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार समाजसेवी एवं रंगकर्मी श्री शर्मा औषधालय में विविध विषयों पर बातचीत करते अक्सर नज़र आया करते थे। कोरोना के इस काल में अप्रैल-मई महीने में जब देशव्यापी लंबा लॉकडाउन लगा, बड़ी संख्या में कोरोना ड्यूटी में लगे पुलिस एवं निगम प्रशासन के कर्मचारियों के भोजन की व्यवस्था लंबे समय तक बिरजू भैया व उनके परिवार की तऱफ से होती रही। बिरजू भैया सही मायने में कर्मयोगी थे। कर्म ही उनकी सबसे बड़ी पूजा थी।

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