COVID-19

बना डॉक्टरों की चिंता का विषय , कोरोना वायरस से रिकवरी के बाद आंत का इंफेक्शन बढ़ा रहा है | जनता से रिश्ता

Janta se Rishta
11 Sep 2020 11:48 AM GMT
बना डॉक्टरों की चिंता का विषय , कोरोना वायरस से रिकवरी के बाद आंत का इंफेक्शन बढ़ा रहा है | जनता से रिश्ता
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क|कोरोना वायरस मरीज़ों के दिल और फेफड़ों को काफी हद तक प्रभावित करता है और इसका असर लंबे समय तक रहता है। हाल ही में कोरोना वायरस से ठीक हुए लोगों में आंतों का संक्रमण भी देखने को मिल रहा है, जिसने डॉक्टरों की चिंता बढ़ा दी है।

कोविड-19 शरीर के सभी अहम अंगों को प्रभावित करता है, जिसमें पाचन तंत्र और आंतें भी शामिल हैं। अब, यह बात सामने आई है कि आंत के काम में असंतुलन जैसे लक्षण लंबे समय तक बने रह सकते हैं। नए शोध के मुताबिक, कोविड-19 पॉज़ीटिव मरीज़ वायरल आंत के इंफेक्शन से जूझ सकते हैं, इसमें ज़रूरी नहीं कि गैस्ट्रोइंटेसटाइनल संक्रमण से जुड़े शुरुआती लक्षण देखे जाएं।

शोध के निष्कर्षों का यह भी अर्थ है कि वायुमार्ग से वायरस का खात्मा होने के बाद भी पाचन तंत्र में सक्रिय रूप से इस वायरस के रहने की संभावना ज्यादा है। शोध, जो वैज्ञानिक पत्रिका, GUT में प्रकाशित हुई, उसका संचालन चीन की हांगकांग विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों द्वारा किया गया था। शोधकर्ताओं का कहना है कि ये निष्कर्ष उपचार और लक्षणों की पहचान करने के लिए पूर्वानुमान दे सकते हैं, जो रोगियों को स्वस्थ होने में मदद कर सकता है।

नया शोध

हांगकांग के वैज्ञानिकों ने इस तथ्य पर अपने अध्ययन के आधार पर कहा कि कोविड-19 का मल के द्वारा भी प्रसारण हो सकता है। अध्ययन के लिए, चीन के गुआंगडोंग प्रांत में 73 अस्पताल में भर्ती मरीज़ों के मल के नमूनों का विश्लेषण किया गया। विश्लेषण करने पर, यह पाया गया कि 40 से अधिक रोगियों के मल में वायरस के नमूने पाए गए।

कोरोना से हो सकता है गैस्ट्रोइंटेसटाइनल संक्रमण

इन कोरोना पॉज़ीटिव नमूनों में, 15 रोगियों का विश्लेषण किया गया और उनके लक्षणों का विस्तार से अध्ययन किया गया। जिसमें पाया गया कि मतली, दस्त या गैस्ट्रोइंटेसटाइनल बीमारी से जुड़े लक्षणों के बिना भी सभी 15 रोगियों में सक्रिय आंत संक्रमण देखा गया। हैरान करने वाली बात ये थी कि इनमें से 3 मरीज़ ऐसे थे जो कोरोना टेस्ट में नेगेटिव पाए गए थे।

शोध से क्या साबित होता है?

ये बात काफी समय से साफ है कि कोविड-19 लंबे समय तक स्वास्थ को प्रभावित कर सकता है, लेकिन नए शोध से ये बात साफ हो जाती है कि श्वसन के नमूने का टेस्ट इस बात को नहीं नकार सकता कि व्यक्ति को कोरोना है या नहीं। क्योंकि इंसान के मल से भी संक्रमण का प्रसारण संभव है।

एक हालिया अध्ययन में यह भी पाया गया कि छोटे बच्चों में आंत के संक्रमण के संकेत भी स्पष्ट थे, जिन्हें वायरस से उबरे हुए 3 सप्ताह से ऊपर का समय हो चुका था।

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