कोयले की गैस से दम घुटने से युवक की गई जान ,सदमे में परिजन
नैनीताल : कोयले की गैस से दम घुटने में जान गंवाने वाले एक युवक के घर महीने भर पहले ही नन्हे मेहमान की किलकारियां गूंजी थी तो दूसरे युवक की अगले महीने शादी थी। इस घटना से परिजनों की खुशियां तो काफूर हो ही गई, साथ ही उनके सपने भी मर गए। मल्लीताल क्षेत्र में …
नैनीताल : कोयले की गैस से दम घुटने में जान गंवाने वाले एक युवक के घर महीने भर पहले ही नन्हे मेहमान की किलकारियां गूंजी थी तो दूसरे युवक की अगले महीने शादी थी। इस घटना से परिजनों की खुशियां तो काफूर हो ही गई, साथ ही उनके सपने भी मर गए।
मल्लीताल क्षेत्र में कोयलों की गैस के कारण दम घुटने से बदायूं और शाहजहांपुर से मजदूरी करने पहुंचे अवनेश, राजकुमार और मुनेंद्र की असमायिक मौत हो गई। हादसे की सूचना मिलने के बाद सभी के परिजन मंगलवार सुबह नैनीताल पहुंच गए। मोर्चरी में रखे अवनेश का शव देख माता-पिता फूट फूट कर रोने लगे। मां दहाड़ें मारकर बेटे को अवनेश अवनेश… कहकर पुकारती रही। अन्य परिजन उन्हें ढाढ़स बंधाते रहे।
अवनेश के भाई संजीव कुमार ने बताया कि अवनेश के घर महीने भर पहले ही बेटे ने जन्म लिया था। बेटे के नामकरण के कुछ दिन बाद 17 जनवरी को अवनेश चचेरे भाई राजकुमार व साले मुनेंद्र के साथ नैनीताल आ गया था। वहीं दूसरी ओर अवनेश के चचेरे भाई राजकुमार की शादी के लिए रिश्ता भी पक्का हो चुका था। होली के बाद राजकुमार की शादी होनी थी। परिजन शादी की तैयारियां के लिए व्यवस्था बनाने में लगे थे। संजीव ने बताया कि रविवार शाम परिजनों की आखिरी बार तीनों से बात हुई थी। उन्होंने बताया कि अवनेश के अन्य दोस्त भी काम के सिलसिले में जल्द ही नैनीताल आने वाले थे। तीन युवाओं की मौत के बाद गांवों में मातम का माहौल है।
बंद कमरे में अंगीठी जलाना जानलेवा, कुमाऊं में कई लोगों की हो चुकी है दम घुटने से मौत
कुमाऊं के पर्वतीय क्षेत्रों में हर साल बंद कमरे में अंगीठी जलाने से दम घुटने के कारण कई लोगों की मौत हो चुकी है। हर साल हादसों के बाद भी लोग नहीं चेतते हैं और इसका खामियाजा उन्हें जान देकर चुकाना पड़ता है। चिकित्सकों की मानें तो बंद कमरे में कोयले जलाना अथवा घंटों तक ब्लोअर चलाना जानलेवा हो सकता है।
बीडी पांडे अस्पताल के चिकित्सक डॉ. हाशिम अंसारी का कहना है कि कमरे की खिड़की व दरवाजों को बंद कर अंगीठी जलाकर सोना जानलेवा हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि कोयलों से निकलने वाली कार्बन मोनो ऑक्साइड कमरे में आक्सीजन के स्तर को धीरे धीरे कम कर देती है। कार्बन मोनो ऑक्साइड का स्तर बढ़ता रहता है और धीरे-धीरे कमरे में मौजूद लोगों के शरीर में आक्सीजन की कमी होने लगती है। कार्बन मोनो ऑक्साइड तब तक व्यक्ति के खून में पहुंचकर फेफड़े, दिल और दिमाग पर नकारात्मक असर करना शुरू कर देती है जिससे व्यक्ति का दम घुटने लगता है और धीरे-धीरे इंसान बेहोश हो जाता है। हार्ट ब्लॉक होने की स्थिति में व्यक्ति की मौत हो जाती है।
डॉ. अंसारी का कहना है कि यदि समय रहते पीड़ित अस्पताल पहुंच जाए तो उसकी जान बचाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि कमरे में अंगीठी जलाकर न सोएं। अगर कमरे में अंगीठी जल रही है तो खिड़की दरवाजे खुले रखें और सोने से पहले अंगीठी को अच्छी तरह बुझाकर कमरे से बाहर रख दें। अगर अंगीठी जलने के दौरान सांस लेने में कोई परेशानी महसूस हो तो खुली हवा में बाहर चले जाएं।