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सरकार का फैसला, गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के सर्वे के लिए समयसीमा निर्धारित, जानें पूरी जानकारी

jantaserishta.com
1 Sep 2022 6:19 AM GMT
सरकार का फैसला, गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के सर्वे के लिए समयसीमा निर्धारित, जानें पूरी जानकारी
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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक 

लखनऊ: असम में अल कायदा से लिंक के मामलों में मदरसों पर कार्रवाई को लेकर बवाल मचा है. जहां असम की हिमंत बिस्वा सरमा सरकार अब तक तीन मदरसों पर बुलडोजर चला चुकी है. वहीं, विपक्ष लगातार सरकार की इस कार्रवाई पर सवाल उठा रहा है. असम में जारी विवाद के बीच उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने राज्य के सभी गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का 5 अक्टूबर तक सर्वे कराने का निर्दश दिया है.
योगी सरकार ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश जारी कर शिक्षा व्यवस्था को लेकर गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे कराने का निर्देश दिया है. जिलाधिकारियों से टीम बनाकर सर्वे कराकर कराने और रिपोर्ट एडीएम प्रशासन को सौंपने के लिए कहा गया है. सर्वे टीम में एसडीएम, बीएसए और जिला अल्पसंख्यक अधिकारी शामिल होंगे. अपर जिलाधिकारी के माध्यम से जिलाधिकारी को मदरसों की रिपोर्ट प्रस्तुत होगी 25 अक्टूबर तक जिलाधिकारी गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की रिपोर्ट शासन को भेजेंगे.
असम में टेरर लिंक के मामले में हिमंत बिस्वा सरमा की सरकार एक्शन में है. यहां अब तक अलकायदा और बांग्लादेश के आंतकी संगठन से लिंक के मामले में 37 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. बुधवार को असम के जोगीघोपा में एक मदरसे पर बुलडोजर चलाया गया था. मदरसे के एक मौलवी की गिरफ्तारी के बाद यह कार्रवाई की गई थी. मौलवी पर अलकायदा से लिंक के आरोप हैं. आरोप है कि मुफ्ती हफिजुर रहमान मदरसे में रहकर जिहादी गतिविधियों को अंजाम दे रहा था. असम की गोलपारा पुलिस ने हाल ही में रहमान को गिरफ्तार किया था. इसके बाद बोंगईगांव प्रशासन ने मदरसे को खाली करने का नोटिस भेजा था.
असम सरकार ने इससे पहले 28 अगस्त को बारपेटा में भी एक मदरसे को गिरा दिया था. यहां के एक टीचर पर बांग्लादेशी जिहादी संगठन से लिंक का आरोप लगा था. यहां अल कायदा का टीचर मोहम्मद सुमान 2019 से जिहादी गतिविधियों को अंजाम दे रहा था. असम में अब तक मदरसों के 37 मौलवी और टीचरों को अल कायदा से लिंक के मामले में गिरफ्तार किया था.
AIUDF चीफ बदरुद्दीन अजमल ने असम सरकार के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि मदरसों में गरीबों को पढ़ाया जाता है. कई मदरसों को तो 20-30 साल तक चंदा इकट्ठा करने के बाद बनाया गया. वहीं, ये सरकार इन पर बुलडोजर चला रही है.
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