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योगी आदित्यनाथ करोड़पति बने: एक रिवॉल्वर-राइफल, 12 हजार का मोबाइल फोन, डालिए हलफनामे पर नजर

jantaserishta.com
4 Feb 2022 10:44 AM GMT
योगी आदित्यनाथ करोड़पति बने: एक रिवॉल्वर-राइफल, 12 हजार का मोबाइल फोन, डालिए हलफनामे पर नजर
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Yogi Adityanath Affidavit: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ने जा रहे हैं. शुक्रवार को उन्होंने गोरखपुर शहर से नामांकन दाखिल कर दिया. नामांकन के दौरान फाइल किए गए एफिडेविट में उन्होंने अपनी संपत्ति का ब्योरा भी दिया है. इसमें उन्होंने बताया है कि उनके पास 1.54 करोड़ रुपये की संपत्ति है. सीएम योगी ने ये भी बताया है कि उनके ऊपर एक भी क्रिमिनल केस दर्ज नहीं है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हलफनामे के मुताबिक, उनके पास कुल 1 करोड़ 54 लाख 94 हजार 54 रुपये की संपत्ति है. इसमें 1 लाख रुपये नकद है. इससे पहले 2017 में जब योगी आदित्यनाथ ने विधान परिषद का चुनाव लड़ा था, तब उन्होंने अपनी संपत्ति 95.98 लाख रुपये बताई थी. 5 साल में उनकी संपत्ति करीब 60 लाख रुपये बढ़ गई है.
किस-किस चीज के मालिक हैं योगी आदित्यनाथ?
- सीएम योगी के दिल्ली, लखनऊ और गोरखपुर की 6 जगहों पर अलग-अलग बैंकों में 11 अकाउंट्स हैं. इन अकाउंट्स में 1 करोड़ 13 लाख 75 हजार रुपये से ज्यादा जमा हैं.
- सीएम योगी के पास जमीन या घर नहीं है. लेकिन उनके पास नेशनल सेविंग स्कीम्स और बीमा पॉलिसियों के जरिए 37.57 लाख रुपये हैं.
- योगी आदित्यनाथ के पास 49 हजार रुपये के सोने के कुंडल हैं. इनका वजन 20 ग्राम है. साथ ही योगी सोने की चेन में रुद्राक्ष माला पहनते हैं, जिसकी कीमत 20 हजार रुपये है. इस चेन का वजन 10 ग्राम है.
- सीएम योगी के पास 12 हजार रुपये का एक मोबाइल फोन भी है. पिछली बार योगी ने अपने पास दो कार होने की बात बताई थी, लेकिन इस बार उनके पास एक भी कार नहीं है.
- योगी अपने पास हथियार भी रखते हैं. उनके पास 1 लाख रुपये की रिवॉल्वर और 80 हजार रुपये की राइफल है.
पहली बार विधायक का चुनाव लड़ रहे योगी
- योगी आदित्यनाथ पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं. 5 जून 1972 को जन्मे योगी आदित्यनाथ ने अपना पहला चुनाव 26 साल की उम्र में लड़ा था.
- योगी ने 1998 में पहली बार गोरखपुर से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीता. इसके बाद 1999, 2004, 2009 और 2014 में लगातार 5 बार सांसद चुनकर आए.=
- 2017 में योगी आदित्यनाथ यूपी के मुख्यमंत्री बने. उसके बाद उन्होंने सांसद पद से इस्तीफा दिया. इसके बाद वो विधान परिषद के सदस्य चुने गए.


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