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मोदी सरकार के नवंबर 2016 में 500 रुपये और 1,000 रुपये के नोटों को बंद करने के फैसले की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने सोमवार को अपना फैसला सुनाया। शीर्ष अदालत ने सरकार के फैसले को बरकरार रखा और याचिकाओं को खारिज कर दिया। वहीं अब इस मामले को लेकर बयानों का दौर भी जारी हो गया है। जहां बीजेपी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद विपक्षी दलों और सरकार के फैसले पर सवाल उठाने वालों पर हमलावर है। वहीं कांग्रेस और अन्य विरोधियों की तरफ से अभी भी मोदी सरकार पर हमला जारी है।
नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि मेरा सुझाव है कि पीएम मोदी 'नोटबंदी दिवस' मनाएं, वे अब क्यों नहीं मनाते? ऐसा इसलिए है क्योंकि वे जानते हैं कि नोटबंदी के कारण प्लंबर, ड्राइवर, कलाकार, बिजली मिस्त्री आदि बर्बाद हो गए थे। पीएम मोदी और उनकी सरकार को (नोटबंदी के लिए) सामाजिक और राजनीतिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए। अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट के मुताबिक 50 लाख लोगों की नौकरी चली गई और 100 लोगों की मौत हो गई। पीएम मोदी ने भारत की वर्कफोर्स को छोटा कर दिया है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने केंद्र सरकार के 2016 में 500 और 1000 रुपये की श्रृंखला वाले नोटों को बंद करने के फैसले को सोमवार को 4:1 के बहुमत के साथ सही ठहराया। पीठ ने बहुमत से लिए गए फैसले में कहा कि नोटबंदी की निर्णय प्रक्रिया दोषपूर्ण नहीं थी।हालांकि न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना ने सरकार के फैसले पर कई सवाल उठाए। न्यायमूर्ति एस. ए. नज़ीर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि आर्थिक मामले में संयम बरतने की जरूरत होती है और अदालत सरकार के फैसले की न्यायिक समीक्षा नहीं कर सकती।
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