जब अदालत में जज ने किया ये ऐलान, जानें क्या है पूरा मामला
नई दिल्ली: मद्रास हाईकोर्ट के एक जज ने भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य संहिता का नाम लेने से इनकार कर दिया है। खबर है कि हिंदी ठीक से नहीं बोल पाने के चलते उन्होंने अंग्रेजी नामों का इस्तेमाल करने का ही ऐलान भरी कोर्ट में किया। नए कानून भारतीय दंड …
नई दिल्ली: मद्रास हाईकोर्ट के एक जज ने भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य संहिता का नाम लेने से इनकार कर दिया है। खबर है कि हिंदी ठीक से नहीं बोल पाने के चलते उन्होंने अंग्रेजी नामों का इस्तेमाल करने का ही ऐलान भरी कोर्ट में किया। नए कानून भारतीय दंड संहिता (IPC), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह अस्तित्व में आए हैं।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, CrPC की धारा 460 और 473 से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस आनंद वेंकटेश ने यह बात कही है। दरअसल, सुनवाई के दौरान जब अतिरिक्त लोक अभियोजक (APP) ए दामोदरन CrPC की जगह लेने वाले भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता बोलने में संघर्ष करते नजर आए। उन्होंने इसके एक प्रावधान के बारे में कोर्ट को बताने के लिए 'नए कानून' या न्यू एक्ट का इस्तेमाल किया।
इसके बाद जस्टिस वेंकटेश ने कहा कि दामोदरन चतुराई से इसे 'नया कानून' बताते हुए हिंदी शब्द कहने से बच गए। इसके चलते उन्होंने तय किया है कि चूंकि वह हिंदी नहीं जानते, तो प्रावधानों को IPC, CrPC और एविडेंस एक्ट ही कहेंगे। एपीपी दामोदरन का कहना है, 'मैं नए नाम का उच्चारण करने में कुछ समय ले रहा था, जब उन्होंने (जस्टिस वेंकटेश) ने कहा कि जब हिंदी की बात आती है, तो हम सभी एक ही नाव में सवार हैं।'
बीते साल दिसंबर में लोकसभा में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था, '1860 में बने भारतीय दंड संहिता का उद्देश्य न्याय देना नहीं बल्कि दंड देना था। उन्होंने कहा कि अब उसकी जगह भारतीय न्याय संहिता, 2023, क्रिमिनल प्रोसीजर कोड की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 और इंडियन एवीडेंस एक्ट, 1872 की जगह भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 इस सदन की मान्यता के बाद पूरे देश में अमल में आएंगे। उन्होंने कहा कि भारतीय आत्मा के साथ बनाए गए इन तीन कानूनों से हमारे क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में बहुत बड़ा परिवर्तन आएगा।'