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देश में शेयर बाजार (Share Market) में निवेश को लेकर लोगों के नजरिए में बदलाव आया है. पहले शेयर बाजार के ट्रेडिंग के तरीकों से अनजान लोग इसमें पैसे लगाने को जुआ खेलना समझते थे. लेकिन अब देश की बड़ी आबादी शेयर मार्केट में निवेश (Share Market Investment) के फायदे और नुकसान को समझ रही है. लोग शेयर बाजार में दिलचस्पी लेने लगे हैं. देश में इस वक्त करीब 9 करोड़ डीमैट अकाउंट होल्डर्स हैं. वित्त वर्ष 2018-19 में ये आंकड़ा महज 3.60 करोड़ था.
इस आंकड़े से ही पता चलता है कि पिछले तीन साल में कितनी बड़ी संख्या में लोग शेयर बाजार में निवेश करने लगे हैं. अब शेयर मार्केट है, तो उठा-पटक का दौर यहां जारी रहता. शेयर ग्रीन और रेड में ऊपर-नीचे आते जाते रहते हैं. ऐसे में नए निवेशकों अपने लिए स्टॉक का चुनाव करना मुश्किल हो जाता है. शेयर बाजार के एक्सपर्ट्स कहते हैं कि नए निवेशकों ऐसी कंपनियों के स्टॉक में पैसा लगाना चाहिए, जिनके प्रोडक्ट का वो इस्तेमाल करते हैं. अगर आप लंबे समय से किसी कंपनी के प्रोडक्ट का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो वो कंपनी निवेश के लिए बेहतर विकल्प हो सकती है. नए निवेशक शुरुआत में FMCG और बैंकिंग सर्विस की कंपनियों के शेयर में पैसा लगा सकते हैं.
नए निवेशकों को हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि वो जिस कंपनी के शेयर में निवेश करने जा रहे हैं, उसका रेवेन्यू पिछले एक साल में कैसा रहा है, ये जानना बेहद महत्वपूर्ण है. अगर रेवेन्यू बढ़ रहा है और प्रॉफिट ग्रोथ ऊपर की तरफ जा रहा है, तो अच्छी बात है. साथ ही कंपनी के कर्ज का आंकलन भी करना जरूरी. अगर कंपनी के कर्ज में लगातार गिरावट आ रही है.
निवेश करने से पहले कंपनी की वैल्यूएशन की जानकारी रखनी जरूरी है. इसके लिए प्राइस टू अर्निंग रेशियो और प्राइस अर्निंग टू ग्रोथ रेशियो और प्राइस टू बुक रेशियो का सहारा ले सकते हैं. तमाम तरह के कैलकुलेशन से कंपनी की वैल्यूएशन का पता लगाया जा सकता है. वैल्यूएशन और रेवेन्यू के अलावा कंपनी के कॉर्पोरेट गवर्नंस के बारे में भी जानना जरूरी है. अगर कंपनी की लीडरशिप मजूबत है, तो निवेशकों का नजरिया बदलता है. जैसे मौजूदा समय में टाटा कंपनी के शेयर्स पर निवेशक भरोसा जताते हैं. इसके पीछे की वजह ये है कि कंपनी की लीडरशिप मजूबत है. इन तमाम फैक्टर्स को ध्यान में रखकर कोई भी शेयर बाजार में एंट्री कर सकता है.