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Nilmani Pal
25 April 2022 8:31 AM GMT
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दिल्ली। सीबीआई की एक कोर्ट (CBI Court) ने जामिया मिलिया इस्लामिया (Jamia Professor) के प्रोफेसर खालिद मोइन की जमानत याचिका खारिज कर दी है. खालिद पर आरोप है कि उन्होंने नोएडा के बॉटनिकल गार्डन (Botanical Garden) में एक परियोजना के लिए संरचनात्मक सुरक्षा प्रमाण पत्र जारी करने के लिए एक लाख रुपये की रिश्वत ली थी. विशेष न्यायाधीश शैलेंद्र मेलक ने मोइन की जमानत (Bail) को ये कहते हुए खारिज कर दिया कि उनके दिमाग में एक लोक सेवक के पास इतनी नकद राशि और रिश्वत की राशि मिलना स्पष्ट रूप से अपराध की गंभीरता को दर्शाता है. कोर्ट ने कहा कि एक टेलीफोन पर बातचीत हुई थी, जिसमें कहा गया था कि मोइन ने अपने सह आरोपियों से पैसे की मांगी की और साथ ही विश्वविद्यालय में जमा करने के लिए आवश्यक शुल्क भी मांगा.


कोर्ट ने कहा कि इस तरह की बातचीत अपने आप में ये स्पष्ट करती है कि आरोपी द्वारा बॉटनिकल गार्डन नोएडा में भवन निर्माण के लिए संरचनात्मक सुरक्षा प्रमाण पत्र जारी करने के संबंध में रिश्वत की मांग की गई थी. ये एक गंभीर अपराध है और इसमें अभी जमानत नहीं दी जा सकती. मोईन के वकीलों ने तर्क दिया था कि विश्वविद्यालय से पारिश्रमिक और परामर्श शुल्क से उनकी आय सालों से करोड़ों रुपये में रही है. कोर्ट ने कहा कि आश्चर्यजनक रूप से जांच अधिकारी ने इस पहलू की ठीक से जांच नहीं की. क्योंकि उन्होंने कोर्ट को बताया कि विश्वविद्यालय से संबंधित अधिकारी मोईन की आय का विवरण देते के लिए जांच में शामिल होगा.

सीबीआई के अनुसार 16 मार्च 2022 को जानकारी मिली कि जामिया मिलिया इस्लामिया में सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफसर मोइन ' सरकारी भवनों के संबंध में संरचनात्मक सुरक्षा प्रमाण पत्र जारी करने में भ्रष्ट आचरण में शामिल थे. उन्होंने मेसर्स व्योम आर्किटेक्ट से रिश्वत की मांग की थी. जांच के दौरान सीबीआई ने उनके खाते में जमा 1,19,78,493 रुपये और आपत्तिजनक दस्तावजों के अलावा 40 लाख रुपये नकद बरामद किए. आरोपी के वकील एसएस बावा ने कोर्ट को बताया कि आऱोपी को यूनिवर्सिटी से तीन लाख रुपये सैलरी और कंसल्टेंसी फीस के साथ 7-8 लाख रुपये महीना मिलता था. ये कहा गया था कि उनके वेतन खाते में 1 करोड़ रुपये से अधिक थे और हर लेने देन आयकर रिटर्न में दिखाई गई है.


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