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मानसून सत्र के 5वें दिन विधानसभा के बाहर विभिन्न संगठनों ने बुलंद की आवाज
Shantanu Roy
23 Sep 2023 9:51 AM GMT
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शिमला। मानसून सत्र के 5वें दिन विधानसभा के बाहर अपनी मांगों को लेकर विभिन्न संगठनों ने अपनी आवाज बुलंद की। विधानसभा के समीप चौड़ा मैदान में जहां कोविड वाॅरियर्ज अपनी मांगों को लेकर बैठे हुए हैं, वहीं शुक्रवार को सीटू के बैनर तले मिड-डे मील कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया। वहीं प्रशिक्षित बेरोजगार संघ और एचआरटीसी के पीसमील वर्करों ने भी सीएम व डिप्टी सीएम के समक्ष अपनी मांगों को रखा है। सीटू के बैनर तले मिड-डे मील कर्मचारियों के धरने और काफिले को देखते हुए पुलिस को चौड़ा मैदान में बैरिकेडिंग करनी पड़ी। मिड-डे मील वर्कर्ज की राज्य स्तरीय यह रैली पंचायत भवन शिमला से आरंभ हुई जोकि चौड़ा मैदान पहुंची। यहां पर इन्होंने अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया। इसके चलते यहां भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया। बैरिकेडिंग करने की वजह से इस मार्ग से आने-जाने वाले लोगों को भी परेशानी झेलनी पड़ी है। इस दौरान यूनियन का एक प्रतिनिधिमंडल शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर से मिला और उन्हें मांग पत्र सौंपा। उन्होंने मिड-डे मील कर्मियों की मांगों को तुरंत पूर्ण करने का आश्वासन दिया। प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि मिड-डे मील वर्कर्ज को पिछले 5 महीने से वेतन का भुगतान नहीं किया गया है। उन्होंने मांग की है कि यह भुगतान तुरंत किया जाए। प्रदेश सरकार की 4 हजार रुपए की घोषणा के बावजूद यह घोषणा लागू नहीं हुई है। उन्होंने हरियाणा की तर्ज पर 7 हजार रुपए वेतन की मांग की। हिमाचल उच्च न्यायालय के निर्णयानुसार और पंजाब सरकार की तर्ज पर 10 की बजाय 12 माह का वेतन और मिड-डे मील व हिमाचल में आंगनबाड़ी की तर्ज पर 12 से 20 छुट्टियों की सुविधा देने की मांग उठाई। वर्ष में 2 बार वर्दी और मल्टी टास्क भर्ती में मिड-डे मील कर्मियों को प्राथमिकता के साथ अतिरिक्त कार्य का अतिरिक्त वेतन दिया जाए। बंद किए गए स्कूलों में अन्य स्टाफ की तरह मिड-डे मील कर्मियों को भी दूसरे स्कूलों में समायोजित किया जाए। उनके लिए नौकरी से संबंधित 25 बच्चों की शर्त को हटाया जाए। उनसे चुनाव के समय पोलिंग पार्टी को खाना बनाने का कार्य न करवाया जाए। प्रत्येक स्कूल में अनिवार्य रूप से 2 मिड-डे मील वर्कर्ज की नियुक्ति की जाए। 45वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिश अनुसार मिड-डे मील कर्मियों को मजदूर का दर्जा दिया जाए और उन्हें नियमित किया जाए।
प्रशिक्षित बेरोजगार शारीरिक शिक्षक संघ व शारीरिक शिक्षा कल्याण संगठन का कहना है कि वे पिछले कई वर्षों से अपने लिए बीपीई, बीपीएड, एमपीएड व पीएचडी करीब 25 हजार बेरोजगार प्रशिक्षित शारीरिक शिक्षक सरकारी नौकरी तलाश कर रहे हैं, जिसमें से अधिकांश 50 वर्ष की आयु भी पूरी कर चुके हैं। प्रदेश में कांग्रेस सरकार के आते ही 870 पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी, लेकिन विभाग ने उस पर उच्च न्यायालय द्वारा रोक लगवा दी गई थी। 4 मार्च को कुल्लू जिले से काऊंसङ्क्षलग शुरू भी कर दी थी,लेकिन 5 मार्च को उसे फिर से रुकवा दिया गया है। प्रदेश के स्कूलों में 2150 पद रिक्त चले हुए हैं। इसलिए बेरोजगार प्रशिक्षित शारीरिक शिक्षक सरकार से मांग करते हैं कि जल्द से जल्द पीईटी भर्ती प्रक्रिया शुरू करे। वर्ष 1998 के बाद डीपीई का कोई भी पद न तो बैचवाइज और न ही कमीशन से भरा गया है। केवल प्रमोशन से ही आज तक ये पद भरे गए हैं। प्रदेश में 500 डीपीई के पद खाली हैं और वे सरकार से कमीशन और बैचवाइज इन्हें भरने का आग्रह करते हैं। शारीरिक शिक्षकों के पद 2016 व 2018 में आंशिक रूप से नए नियमों के तहत भरे गए थे और उस समय सीटीई और आर एंड पी नियमों का पूरा ध्यान रखा गया था और आज के समय 25 हजार प्रशिक्षित बेरोजगार शारीरिक शिक्षक सरकार द्वारा बनाए गए आर एंड पी नियमों को पूरा करते हैं। इसलिए वे सरकार से मांग करते हैं कि जल्द शारीरिक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाए।
एचआरटीसी के पीसमील कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री से भेंट कर शेष बचे 165 पीसमील कर्मचारियों को जल्द अनुबंध पर लाने की मांग की है। पीसमील कर्मचारियों का कहना है कि अधिकतर कर्मचारियों की उम्र 40 पार हो चुकी है और एचआरटीसी की कार्यशालाओं में कुछ पीसमील कर्मचारी अनुबंध में आने से वंचित रह गए हैं। कर्मियों का कहना है कि सभी गरीब घरों एवं मजबूर होकर काम कर रहे हैं और सभी को 6 से 7 वर्ष हो चुके हैं, लेकिन अभी भी इनके लिए अनुबंध में आने की कोई रूपरेखा नहीं बन रही है। फरवरी, 2023 के बाद ये कर्मचारी अनुबंध में आने से रह गए हैं और निगम की कर्मशालाओं के ये कर्मचारी अपनी ड्यूटी कर्तव्यनिष्ठा से कर रहे हैं। इसलिए वे मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री से मांग करते हैं कि जल्द इन शेष बचे पीसमील कर्मचारियों को भी अनुबंध पर लाया जाए। पिछले 72 घंटों से अपनी मांगों को लेकर कोविड वाॅरियर्ज चौड़ा मैदान में खुले आसमान तले भूखे-प्यासे और नौनिहालों को घरों में छोड़कर डटे हुए हैं। मुख्यमंत्री से इनकी भेंट हो चुकी है, लेकिन ये अपनी मांगों को लिखित रूप में पूरी होते देखना चाहते हैं, इसलिए अपनी मांगों पर डटे हुए हैं। इनका कहना है कि जब तक इन्हें लिखित रूप में यह आश्वासन नहीं मिलता है कि राज्य के कोविड वाॅरियर्ज को उनकी सेवाओं को निरंतर जारी रखने और स्वास्थ्य विभाग में बनाई गई सरकारी संस्थाओं (सोसायटी) में उन्हें मर्ज नहीं किया जाता, तब तक उनका यह आंदोलन जारी रहेगा, चाहे इसके लिए उन्हें भूख हड़ताल तक क्यों न करनी पड़े। कोविड वाॅरियर्ज से पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर, विपिन सिंह परमार, विधायक जनक राज व दीपराज आदि विपक्षी दल के नेताओं ने भेंट की है, लेकिन सरकार की ओर से इनसे मिलने कोई नहीं आया है। कोविड वाॅरियर्ज का कहना है कि जब तक सरकार की ओर से उन्हें लिखित आश्वासन नहीं मिलेगा, तब तक वे यहां पर अपना आंदोलन जारी रखेंगे।
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