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उत्तर प्रदेश सरकार नदी सुधार की दिशा में उठा रही बड़े कदम

jantaserishta.com
28 Oct 2022 9:15 AM GMT
उत्तर प्रदेश सरकार नदी सुधार की दिशा में उठा रही बड़े कदम
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लखनऊ (आईएएनएस)| नदियां जीवनदायिनी है। इनके सहारे आस्था, संस्कृति, कृषि, रोजी-रोजगार सब जुड़े हैं। ऐसे में इसके महत्व को समझते हुए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार उन्हें सुधारने के लिये कई परियोजनाओं पर बड़ी तेज गति से काम कर रही है। जिनके नतीजों से नदी में सुधार आने की उम्मीद बंधी है।
योगी सरकार द्वारा अब नमामि गंगे कार्यक्रम के दूसरे चरण (2021-2026 की अवधि के लिए) में गंगा की सहायक नदियों पर सीवरेज के बुनियादी ढांचे के निर्माण, सार्वजनिक निजी भागीदारी के प्रयासों और लोगों की भागीदारी को बढ़ाने, सकरुलर वाटर इकॉनमी मॉडल, विकेन्द्रीकृत एसटीपी, मल-कीचड़ और सेप्टेज प्रबंधन आदि पर जोर दिया जा रहा है।
मुख्यमंत्री योगी द्वारा लगातार परियोजनाओं की मॉनीटरिंग की जा रही है। यही वजह है कि प्रदेश में महज चार माह सितंबर 2022 से दिसंबर 2022 तक कुल 8 परियोजनाएं पूरी हो जाएंगी। इन परियोजनाओं में प्रयागराज के नैनी, फाफामऊ और झूंसी में 767.59 करोड़ रुपए की लागत से 72 एमएलडी क्षमता का निर्माण किया जा रहा है। वहीं कानपुर के पंखा में 967.23 करोड़ रुपए की लागत से 160 एमएलडी, उन्नाव में 102.2 करोड़ रुपए की लागत से 15 एमएलडी क्षमता के इंटरसेप्सन और डायवर्जन की संरचनाओं का निर्माण, उन्नाव के शुक्लागंज में 65.18 करोड़ रुपए की लागत से 5 एमएलडी क्षमता के इंटरसेप्सन और डायवर्जन, सुल्तानपुर में 70.18 करोड़ से 17 एमएलडी क्षमता के इंटरसेप्सन और डायवर्जन, बुढ़ाना में 48.76 करोड़ से 10 एमएलडी क्षमता के इंटरसेप्सन और डायवर्जन, जौनपुर में 206 करोड़ की लागत से 30 एमएलडी क्षमता के इंटरसेप्सन और डायवर्जन और बागपत में 77.36 करोड़ की लागत से 14 एमएलडी क्षमता के इंटरसेप्सन और डायवर्जन का निर्माण कार्य किया जा रहा है, जो की दिसंबर 2022 तक पूरी हो जाएंगी।
सरकार से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश में अनुमानित सीवेज उत्पादन 5500 एमएलडी है, जिसके एक बड़े हिस्से का ट्रीटमेंट राज्य में स्थापित 114 एसटीपी द्वारा किया जाता है जिसकी क्षमता 3539.72 एमएलडी है। इस अंतर को पाटने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने केंद्र सरकार के सामने कई सीवरेज परियोजनाओं का प्रस्ताव रखा था। इसी का नतीजा है कि केंद्र सरकार ने उनके प्रस्ताव पर मुहर लगाते हुए प्रदेश के लिए 11433.06 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 1574.24 एमएलडी क्षमता के एसटीपी के निर्माण के लिए कुल 55 सीवरेज बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को मंजूरी दी।
प्रदेश में कन्नौज से वाराणसी तक प्रदूषित नदी के खंड में बीओडी के मामले में सुधार दर्ज किया गया है, जो वर्ष 2015 में 3.8-16.9 मिलीग्राम/लीटर हुआ करता था और अब वर्ष 2022 में 2.5-4.3 मिलीग्राम/लीटर है। पीएच- वर्ष 2014 और 2022 के दौरान सभी तुलनात्मक स्थानों ( सभी 20 स्थानों) पर स्नान के लिए पानी की गुणवत्ता के मानदंडों को पूरा पाया गया है। वहीं डीओ में 20 में से 16 स्थानों में सुधार हुआ है, जबकि बीओडी में 20 में से 14 स्थानों में और एफसी में 20 में से 18 स्थानों में सुधार हुआ है।
केंद्र सरकार ने यह माना था कि वर्ष 2014 से पहले प्रयागराज में स्वीकृत कोई भी सीवरेज इंफ्रास्ट्रक्च र परियोजना पूरी नहीं हुई थी। वहीं योगी सरकार में हुए महाकुंभ के दौरान गंगा नदी में डुबकी लगाने वाले 20 करोड़ से अधिक लोगों ने माना कि पानी की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। एनएमसीजी ने नैनी, सलोरी और राजापुर में मौजूदा एसटीपी को दुरुस्त करने के लिए एक परियोजना को भी मंजूरी दी। प्रयागराज की स्थिति को ध्यान में रखते हुए एनएमसीजी ने इन 2 परियोजनाओं को हाइब्रिड वार्षिकी मोड - वन सिटी वन ऑपरेटर अवधारणा पर मंजूरी दी है।
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