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दुर्भाग्य की बात: डेढ़ करोड़ खर्च करने के बावजूद ब्लैक फंगस से पीड़ित मरीज को गंवानी पड़ी एक आंख

Admin2
9 Jun 2021 5:01 PM GMT
दुर्भाग्य की बात: डेढ़ करोड़ खर्च करने के बावजूद ब्लैक फंगस से पीड़ित मरीज को गंवानी पड़ी एक आंख
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नागपुर के एक शख्स को कोरोना होने के कुछ महीने बाद म्यूकर माइकोसिस बीमारी हो गई और उस व्यक्ति और उसके परिवार ने इलाज के लिए डेढ़ करोड़ रुपये खर्च किए. दुर्भाग्य की बात है कि इतना पैसा खर्च करने के बाद भी उस व्यक्ति को अपनी एक आंख हमेशा के लिये गंवानी पड़ी. नागपुर के नवीन पॉल जीएसटी विभाग में कार्यरत हैं. कोरोना के बाद उन्हें म्यूकर माइकोसिस बीमारी हो गई और इसके इलाज के लिए उन्हें लगातार 6 अलग-अलग अस्पतालों में इलाज कराना पड़ा. इस इलाज के लिए उन्हें 1 करोड़ 48 लाख रुपये खर्च करने पड़े. नवीन पॉल को पिछले कुछ महीनों पहले कोरोना हो गया था जिससे वो ठीक भी हो गए लेकिन कुछ दिनों बाद उन्हें आंखों में दिक्कत होने लगी, दांत हिलने लगे.

जब उन्होंने नागपुर के एक डॉक्टर से इस बारे में पूछताछ की तो उन्हें आगे के इलाज के लिए हैदराबाद जाने की सलाह दी गई लेकिन हैदराबाद में कोई खास इलाज नहीं हुआ तो वे इलाज के लिए मुंबई चले गए. मुंबई में एक महीने तक उनका इलाज चला. उस इलाज से भी उन्हें कोई खास फायदा नहीं मिला तो पॉल इलाज के लिए नागपुर वापस लौट आए. यहीं पर उनका इलाज किया गया और डॉक्टर ने उनकी एक आंख निकालने का फैसला किया. परिजनों की सहमत‍ि के बाद पॉल की एक आंख निकाल दी गई. इन सभी अस्पतालों में इलाज के लिए पॉल को 1 करोड़ 48 लाख रुपये का बिल देना पड़ा. नवीन की पत्नी रेलवे में है इसलिए इन सभी उपचारों के लिए रेल विभाग ने उनकी काफी मदद की और उनका कहना है कि वह बच गए.

नवीन की पत्नी संगीता ने अपने पति को बचाने के लिए बहुत प्रयास क‍िए. जैसे-जैसे उनके पत‍ि के लिये इलाज के लिये लागत बढ़ती जा रही थी, उनके रिश्तेदारों ने भी उनकी बहुत मदद की. उनकी जान बचाने के लिए हर कोई उसकी मदद के लिए आगे आ रहा था और नागपुर में डॉक्टरों ने भी बहुत प्रयास किया और नवीन की जान बच गई. नवीन को एक आंख निकालनी थी लेकिन दूसरी आंख अच्छी है और उस आंख की रोशनी बहुत अच्छी है, इसलिए उसकी पत्नी खुश है. पॉल का कहना है कि रेलवे ने एवं उनके दोस्त एवं परिवार ने उनकी बहुत मदद की.

नागपुर और विदर्भ में ब्लैक फंगस का संभवत: यह पहला मामला है लेकिन इस भारी लागत की मदद रेल विभाग और अन्य सहयोगियों और रिश्तेदारों की मदद के बिना संभव नहीं होती लेकिन 1.5 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी परिवार वाले भी थोड़े दुखी जरूर हैं कि पॉल को एक आंख गंवानी पड़ी.

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