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नयी दिल्ली। ब्रिटेन के सुरक्षा मंत्री टॉम टुगेंडहट ने अरबपति भगोड़ों विजय माल्या और नीरव मोदी के प्रत्यर्पण के लिए भारत द्वारा लगातार दबाव बनाये जाने के बीच कहा है कि ऐसी जगह बनने का उनके देश का कोई इरादा नहीं है, जहां न्याय के दायरे में आने से बचने की कोशिश कर रहे लोग छिप सकें। टुगेंडहट ने किसी विशेष मामले का जिक्र किए बिना कहा कि प्रत्यर्पण संबंधी मामलों में कानूनी प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए। उन्होंने पीटीआई-से साक्षात्कार में कहा, ‘‘हम दोनों (ब्रिटेन और भारत) की कानूनी प्रक्रियाएं हैं, जिनका पालन करना आवश्यक है, लेकिन ब्रिटेन सरकार इस बात को लेकर बिल्कुल स्पष्ट है कि ऐसी जगह बनने का हमारा कोई इरादा नहीं है जहां न्याय से बचने की कोशिश कर रहे लोग छिप सकें।’’
टुगेंडहट ने ब्रिटेन में रह रहे माल्या और नीरव मोदी समेत कई आर्थिक अपराधियों के प्रत्यर्पण की भारत की मांग से जुड़े एक सवाल के जवाब में यह टिप्पणी की। टुगेंडहट कोलकाता में हुई ‘जी-20 भ्रष्टाचार-विरोधी मंत्रिस्तरीय बैठक’ में भाग लेने के लिए 10-12 अगस्त तक तीन-दिवसीय यात्रा पर भारत में थे। उन्होंने विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से भी दिल्ली में बातचीत की। भगोड़ा हीरा व्यापारी नीरव मोदी भारत में धोखाधड़ी और धनशोधन के मामलों में वांछित है। नीरव (52) अनुमानित दो अरब डॉलर के पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) ऋण घोटाला मामले में भारत में प्रत्यर्पित किए जाने के खिलाफ ब्रिटेन की उच्चतम न्यायालय में अपनी कानूनी लड़ाई पिछले साल हार गया था।
माल्या मार्च 2016 में ब्रिटेन भाग गया था। वह भारत में किंगफिशर एयरलाइंस को कई बैंकों द्वारा दिए गए 9,000 करोड़ रुपये के ऋण भुगतान की अदायगी नहीं किये जाने के मामले में वांछित है। ब्रितानी सुरक्षा मंत्री ने डोभाल के साथ हुई उनकी बातचीत के बारे में पूछे जाने पर इसका विवरण साझा करने से इनकार कर दिया, लेकिन उन्होंने कहा कि व्यापक द्विपक्षीय सहयोग दोनों देशों की सुरक्षा और नागरिकों की समृद्धि पर केंद्रित है। उन्होंने कहा, ‘‘हम अपने दोनों देशों की सुरक्षा और हमारे नागरिकों की समृद्धि, देश-विदेश में अपना व्यवसाय करने की उनकी क्षमता के बारे में बात कर रहे हैं।’’
टुगेंडहट ने कहा, ‘‘लेकिन हम हमारे सामने मौजूद चुनौतियों की भी बात कर रहे हैं और हमने अलग-अलग तरीकों से यह स्पष्ट किया है कि चीन की चुनौती हम दोनों देशों के सामने है। हमने आपकी उत्तरी सीमा पर घटनाएं देखी हैं। हमने प्रौद्योगिकी में हुए बदलावों और इससे निपटने के तरीकों पर भी बात की। हमने उन क्षेत्रों पर गौर किया, जिनमें अधिक सहयोग की आवश्यकता है।’’ उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि कैसे भारत और ब्रिटेन कृत्रिम मेधा (एआई) से संबंधित नई प्रौद्योगिकियों में सहयोग कर रहे हैं। टुगेंडहट ने कहा, ‘‘हम देख रहे हैं कि आज भारत न केवल भारतीय एआई, बल्कि ब्रितानी एआई का भी केंद्र है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कई कंपनियों के डेटा स्रोत यहां, मुख्य रूप से बेंगलुरु में हैं और वे कंपनियां डेटा के विश्लेषण एवं अपने कारोबारों की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए भारतीय एआई विशेषज्ञों की असाधारण तकनीकी क्षमताओं का उपयोग कर रही हैं।’’ टुगेंडहट ने कहा, ‘‘यह ब्रिटेन और निश्चित रूप से भारत, दोनों के लिए लाभकारी है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘...हम अपने हितों की रक्षा कर रहे हैं और हम उन प्रौद्योगिकियों को विकसित कर रहे हैं, जो हमारे साझा भविष्य के लिए बहुत आवश्यक हैं।’’ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और ब्रिटेन के उनके तत्कालीन समकक्ष बोरिस जॉनसन के बीच मई 2021 में हुई भारत-ब्रिटेन डिजिटल शिखर वार्ता में दोनों देशों के संबंधों को ‘समग्र रणनीतिक साझेदारी’ के मुकाम पर पहुंचाया गया था। शिखर सम्मेलन में दोनों पक्षों ने व्यापार और अर्थव्यवस्था, रक्षा, जलवायु परिवर्तन और लोगों के बीच आपसी संबंध के प्रमुख क्षेत्रों में संबंधों को मजबूत करने के लिए 10 साल का एक ‘रोडमैप’ अपनाया था।
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Harrison
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