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साधु ने की आत्महत्या, पुलिस को मौके से मिला सुसाइड नोट

Admin2
5 Aug 2022 5:20 PM GMT
साधु ने की आत्महत्या, पुलिस को मौके से मिला सुसाइड नोट
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राजस्थान के जालोर जिले में रविनाथ नाम के 60 वर्षीय साधु ने पेड़ से लटककर आत्महत्या कर ली. आत्महत्या के पीछे जमीन का विवाद बताया जा रहा है. आश्रम के संतों ने भीनमाल विधायक पूराराम चौधरी पर साधु को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया है.

साधु ने आत्महत्या गुरुवार को मध्य रात्रि में की. उसके पास एक एक सुसाइड नोट भी मिला है. 'आजतक' ने इस सुसाइड नोट को देखा है. इसमें साधु ने विधायक पर गंभीर आरोप लगाए हैं. सुसाइड नोट से पता चलता है कि रविनाथ थोड़े बहुत ही पढ़े-लिखे थे. अपने नोट में उन्होंने बीजेपी विधायक के साथ जमीन विवाद का जिक्र किया है. उन्होंने यह भी अपील की कि उनके शव का पोस्टमॉर्टम नहीं किया जाए. वहीं, पुलिस पर सुसाइड नोट छिपाने का आरोप लगाते हुए संतों ने पेड़ पर लटके साधु के शव को उठाने से इनकार कर दिया. मौके पर पहुंचे प्रशासनिक अधिकारी उन्हें समझाने की कोशिश करते रहे.
बता दें कि घटना जालोर के राजपुरा गांव में सुंधा माता मंदिर की तलहटी के पास एक आश्रम की है. पुलिस ने बताया कि गुरुवार की देर रात आश्रम के रविनाथ ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. मामला आश्रम के पास की जमीन से जुड़ा है. पुलिस ने मौके से एक सुसाइड नोट भी बरामद किया है. जिसे पुलिस ने जब्त कर लिया है.
पुलिस के अनुसार विधायक पूराराम के पास आश्रम के पीछे की जमीन है, लेकिन प्रवेश का कोई रास्ता नहीं था. इस पर आश्रम से रास्ता निकालने को लेकर विवाद हो गया. तीन दिन पहले विधायक ने अपने आदमियों को आश्रम में गड्ढा खोदने के लिए भेजा था. उसके आदमियों ने आश्रम के पास कुछ खुदाई भी की जिससे रविनाथ परेशान हो गए थे.
साधु की आत्महत्या की खबर मिलते ही आश्रम में साधु-संतों की भीड़ उमड़ पड़ी. लोगों के गुस्से को देखते हुए जसवंतपुरा, रानीवाड़ा और भीनमाल थाने से पुलिस को बुलाकर मौके पर तैनात कर दिया गया है.
आरोपों का जवाब देते हुए विधायक पूराराम चौधरी ने कहा कि सुंधा माता की तलहटी के पास हनुमान आश्रम के पीछे उनकी एक व्यावसायिक भूमि थी, जिसे उन्होंने 30 साल पहले खरीदा था. वह उस पर एक रिसॉर्ट बनाने की योजना बना रहे थे. गुरुवार को तहसीलदार से अनुमति लेकर पटवारी द्वारा जमीन की नाप-जोख की गई. कुछ दिन पहले साधु ने भी एतराज नहीं किया था, हमारे बीच कोई विवाद नहीं था.
गौरतलब है कि 21 जुलाई को भरतपुर के एक संत विजय दास ने भी अवैध खनन के विरोध में खुद को आग लगा कर आत्महत्या कर ली थी. दो दिन बाद जलने से उसकी मौत हो गई थी.
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