कांग्रेस आलाकमान की ओर से राजस्थान में सब कुछ शांत होने का दावा किए जाने के बाद भी फिलहाल पालट गुट के तेवर ठंडे नहीं पड़े हैं। 29 मई को दिल्ली में गहलोत-पायलट के बीच हुई सुलह के दावे के तीन बाद ही सचिन पायलट ने साफ कर दिया है कि, वे गहलोत सरकार से अपनी मांगों पर पीछे नहीं हटेंगे। बुधवार को राजस्थान के टोंक पहुंचे पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने स्थानीय मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि, युवाओं को न्याय दिलाना और वसुंधरा सरकार में हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ जांच बैठाने के मुद्दों को लेकर किसी प्रकार का कोई समझौता नहीं किया जाएगा। इन मुद्दों को लेकर उनकी लड़ाई आगे भी जारी रहेगी।
पायलट ने कहा,'गुरुवार से नया महीना शुरू होगा लेकिन, मैंने अपने नौजवान साथियों से सार्वजनिक रूप से जो वादा किया है, वो हवाई बातें नहीं हैं। यह कोई ऐसी बात नहीं है, जिसे कोई गलत कह सकता है। कांग्रेस पार्टी हमेशा भ्रष्टाचार के खिलाफ रही है, युवाओं के साथ रही है। राहुल गांधी खुद भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। वही मैं भी कर रहा हूं। युवाओं को न्याय दिलाना और बीजेपी सरकार में हुए भ्रष्टाचार पर जांच बैठना अनिवार्य है। इस पर कोई समझौता नहीं होगा।'
कांग्रेस पार्टी से जुड़े विश्वस्त सूत्र कहते हैं कि, पायलट ने 15 दिन का अल्टीमेटम दिया था। वह खत्म होने से पहले ही कांग्रेस अध्यक्ष के घर बैठक के बाद केसी वेणुगोपाल ने गहलोत-पायलट के एकजुट होकर चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। पार्टी ने संदेश दिया कि दोनों एक हो गए है। अब कोई आंदोलन की तैयारी नहीं है। पायलट की मांगों पर फैसले का मामला हाईकमान पर छोड़ा गया है। आम तौर पर देखा गया है कि कांग्रेस में जब भी किसी मामले को लंबा खींचना होता है तो उसके लिए फैसला हाईकमान पर छोड़कर आगे बढ़ने की रणनीति अपनाई जाती रही है।