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Hamirpur के पार्किंग स्थलों पर अपने-अपने हिसाब से हो रही वसूली

Shantanu Roy
24 July 2024 12:28 PM GMT
Hamirpur के पार्किंग स्थलों पर अपने-अपने हिसाब से हो रही वसूली
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Hamirpur. हमीरपुर। हमीरपुर शहर शुरू से ही पार्किंग की समस्या से जूझता रहा है। हालांकि नगर परिषद और प्रशासन के सहयोग से इस समस्या का निवारण करने का प्रयास समय-समय पर किया जाता रहा लेकिन आज भी कई मौकों पर ऐसे हालात बन जाते हंै जब वाहन चालकों को पार्किंग के लिए जगह नहीं मिलती। ऐसी स्थिति में शुरू होता है पार्किंग संचालकों की मनमानी का खेल। आज मनमानी के इस खेल का आलम ऐसा हो चुका है कि प्राइवेट पार्किंग संचालक समय की नजाकत को देखते हुए अपने-अपने हिसाब से पार्किंग फीस की वसूली कर रहे हैं। इसमें सबसे ज्यादा परेशानी उन लोगों को हो रही है जोकि बाहरी जिलों या फिर जिले के अन्य हिस्सों से यहां मु यालय में अपने काम के सिलसिले में या फिर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में उपचार करवाने के लिए आते हैं। प्राइवेट पार्किंग स्थलों के हालात ऐसे हैं कि यहां तैनात किए कर्मचारी अपने-अपने हिसाब से फीस की वसूली करते हैं। जबकि पार्किंगों की हालत इतनी खस्ता है कि कई बार गाडिय़ों को पार्क करते वक्त या आगे पीछे करते समय गाड़ी का
सरफेस नीचे लग जाता है।
वहीं सुरक्षा मानकों के नाम पर तो यही कही सकते हैं कि ‘यात्री अपने सामान का खुद जि मेदार है’। शहर के लोगों सहित बाहर से आने वाले आगंतुकों की भी मांग है कि प्रशासन इस विषय को गंभीरता से लेते हुए पार्किंग के रेट तय करे और बकायदा सबको हिदायत दी जाए कि वे पार्किंग स्थलों के एंट्रास पर रेट लिस्ट लगाएं कि किसी वाहन का कितना चार्ज होगा और कितने समय गाड़ी खड़ी करने की कितनी फीस लगेगी। मौजूदा समय शहर की पार्किंगों पर नजर डालें तो एक दर्जन से अधिक पार्किंग स्थल यहां हैं। इनमें जो तीन-चार नगर परिषद के अधीन हैं उनमें तो पार्किंग फीस एक समान है जबकि बाकी अपने-अपने हिसाब से उगाही में लगे हुए हैं। शहर के एक नागरिक के अनुसार पिछले दिनों उन्हें अपने एक बीमार दोस्त को इमरजेंसी की हालत में सुबह पांच बजे अस्पताल लाना पड़ा। उन्होंने सामने वाली पार्किंग में करीब 20 से 25 मिनट अपनी गाड़ी खड़ी की होगी। जब वो गाड़ी पार्किंग से निकालने लगे तो उनसे 50 रुपए पार्किंग फीस ली गई वो भी बिना पार्किंग फीस की पर्ची के। अब क्योंकि वे पहले से ही परेशानी में थे ऐसे में उन्होंने सुबह-सुबह बहस करना सही नहीं समझा। सवाल यह उठता है कि ऐसे और कितने लोग होंगे जो इस तरह से मजबूरीवश गाड़ी खड़ी करते होंगे। हो सकता है उनमें से कुछ उलझ भी जाते हों और बहुत सारे जो पहले से ही परेशान होते हैं वे मन को मार कर चुपचाप निकल जाते होंगे।
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