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बच्ची के साथ रेप, अब हाईकोर्ट का आया ये फैसला

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10 Sep 2022 5:46 AM GMT
बच्ची के साथ रेप, अब हाईकोर्ट का आया ये फैसला
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न्यूज़ क्रेडिट: हिंदुस्तान
2010 में रेप के आरोपी व्यक्ति को एक दशक से अधिक समय बाद दोषी ठहराया है।
नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को 11 साल की बच्ची के साथ 2010 में रेप के आरोपी व्यक्ति को एक दशक से अधिक समय बाद दोषी ठहराया है। आरोपी को निचली अदालत ने बरी दिया था। हाईकोर्ट ने उसे 10 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। घटना अप्रैल 2010 में तब घटित हुई थी जब लड़की ने स्कूल से घर वापस लौटते समय रास्ते में सार्वजनिक शौचालय का इस्तेमाल किया। आरोपी उसके पीछे गया और रेप किया।
घटना के सात दिन बाद पुलिस को मामले की सूचना दी गई। कुछ दिनों बाद वह व्यक्ति पकड़ा गया। 2011 में, ट्रायल कोर्ट ने उस व्यक्ति को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। इस फैसले को चुनौती देते हुए राज्य ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अपने फैसले में, जस्टिस मुक्ता गुप्ता और मिनी पुष्कर्ण की पीठ ने कहा कि निचली अदालत ने लड़की को एक प्रशिक्षित गवाह के तौर पर रखने में गंभीर गलती की। दरअसल, जिरह के दौरान पीड़िता ने कहा था कि उसने वही बताया है जो उसकी बुआ और पुलिस ने उसे कहने के लिए कहा था।
पीठ ने अपने 20 पन्नों के फैसले में इसका जिक्र करते हुए कहा, 'यह निष्कर्ष पूरी तरह से गलत है कि लड़की ने अदालत में पूछे गए सवाल के जवाब में स्पष्ट रूप से कहा था कि उसका बयान आरोपी के खिलाफ है क्योंकि उसके साथ उक्त घटना हुई थी, और उसने आरोपी के खिलाफ गवाही नहीं दी थी क्योंकि उसकी चाची और पुलिस ने उसे ऐसा करने के लिए कहा था।'
नवंबर 2013 में अभियोजन द्वारा दायर की गई स्थिति रिपोर्ट के अनुसार, आरोपी कुछ समय से अपने आवासीय क्षेत्र में नहीं देखा गया था और इसलिए उसका पता नहीं लगाया जा सका। चूंकि व्यक्ति के खिलाफ गैर-जमानती वारंट निष्पादित नहीं किए गए थे, इसलिए हाईकोर्ट ने मार्च 2014 में उसे भगोड़ा अपराधी घोषित करने के लिए कार्यवाही शुरू करने का निर्देश दिया था।
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में प्राथमिकी दर्ज करने में हुई देरी को यह कहते हुए उचित ठहराया कि पीड़िता, जिसने बहुत कम उम्र में अपनी मां को खो दिया था और जिसके पिता भी लापता थे, वह अपनी बुआ के साथ रह रही थी, जो 10 बच्चों की देखभाल कर रही थी। इसमें छह उसके और चार उसके भाई के बच्चे शामिल हैं जिसमें पीड़िता भी एक है। इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है कि पीड़िता की बुआ एक मजदूर है, शिक्षित महिला नहीं।
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