भारत
राहुल गांधी ने किसानों के कर्ज को लेकर सरकार पर साधा निशाना, 'मित्रों का कर्ज़ माफ़ करते हो, तो देश के अन्नदाता का क्यूँ नहीं'
Renuka Sahu
28 July 2021 5:20 AM GMT
x
फाइल फोटो
राहुल गांधी ने आज सरकार के कृषि कर्ज माफी के बयान को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोला है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने आज सरकार के कृषि कर्ज माफी के बयान को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोला है.राहुल गांधी ने ट्वीट किया, 'जब मित्रों का कर्ज़ माफ़ करते हो, तो देश के अन्नदाता का क्यूँ नहीं? किसानों को कर्ज़-मुक्त करना मोदी सरकार की प्राथमिकता नहीं है. ये सरासर अन्याय है.' दरअसल लोकसभा में वित्त राज्यमंत्री भागवत कराड ने हाल ही में कहा, देश के किसानों पर 16.80 लाख करोड़ रुपए का कृषि कर्ज बकाया है. उन्होंने बताया कि तमिलनाडु में करीब 1.64 करोड़ किसानों के खातों पर 1.89 लाख करोड़ का कृषि कर्ज बकाया है.
सरकार ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि वह कृषि ऋण माफ करने नहीं जा रही. कराड ने बताया कि सरकार के पास कृषि ऋण माफ करने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है. सरकार के इसी बयान को लेकर राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर हमला बोला है.इससे पहले तमिलनाडु के करूर से सांसद एस जोतिमणि ने राज्यवार किसानों पर बकाया कृषि ऋण की जानकारी मांगी थी.
जब मित्रों का कर्ज़ माफ़ करते हो, तो देश के अन्नदाता का क्यूँ नहीं?
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 28, 2021
किसानों को कर्ज़-मुक्त करना मोदी सरकार की प्राथमिकता नहीं है।
ये सरासर अन्याय है।#WhyBJPhatesFarmers pic.twitter.com/SiUK4kZ8Om
राज्यमंत्री कराड ने नाबार्ड के आंकड़ों के हवाले से दी जानकारी
इसके लिखित जवाब में सोमवार को वित्त राज्यमंत्री कराड ने नाबार्ड के आंकड़ों के हवाले से जानकारी दी थी. इसके मुताबिक इस 31 मार्च तक कृषि ऋण मामले में आंध्र प्रदेश दूसरे नंबर पर है. वहां 1.69 लाख करोड़ रुपए बकाया हैं. कर्ज के मामले में तीसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश है. वहां किसानों पर 1.55 लाख करोड़ का कर्ज बाकी है.
किसानों ने मंगलवार को जंतर मंतर पर 'किसान संसद' जारी रखी. इसमें केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों में से एक आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम पर चर्चा की गई. किसानों ने कहा कि वे इसे निरस्त करने के लिए प्रस्ताव पारित करेंगे. 'किसान संसद' में हर दिन 200 किसान भाग ले रहे हैं. भारतीय किसान यूनियन के महासचिव युद्धवीर सिंह ने कहा, 'कालाबाजारी रोकने के लिए 1955 में आवश्यक वस्तु अधिनियम पारित किया गया था. तब से किसी ने संशोधन की मांग नहीं की है. देश का हर नागरिक किसानों के समर्थन में आवाज उठा रहा है.' संयुक्त किसान मोर्चा ने बयान जारी कर कहा, 'सरकारों को फसलों के लिए विपणन, परिवहन, भंडारण सुविधा मजबूत करना चाहिए.
Next Story