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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बृहस्पतिवार को यहां राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति के अंगरक्षकों (पीबीजी) को सिल्वर ट्रंपेट और ट्रंपेट बैनर प्रदान किए। राष्ट्रपति ने इस मौके पर अपने संक्षिप्त बयान में परेड के असाधारण प्रदर्शन, भलीभांति तैयार घोड़ों के रख-रखाव और प्रभावशाली औपचारिक परिधान के लिए राष्ट्रपति के अंगरक्षकों के कमांडेंट अधिकारियों, जूनियर कमीशन्ड अधिकारियों (जेसीओ) तथा अन्य अधिकारियों को बधाई दी।
उन्होंने कहा कि यह अवसर इसलिए भी अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि राष्ट्रपति के अंगरक्षक इसकी स्थापना के 250 वर्ष पूरे होने का उत्सव मना रहे हैं जो संयोगवश देशभर में 'आजादी का अमृत महोत्सव' के साथ मनाया जा रहा है।
राष्ट्रपति भवन द्वारा जारी बयान के अनुसार, राष्ट्रपति ने अंगरक्षकों की उत्कृष्ट सैन्य परंपराओं, पेशेवर क्षमता तथा अनुशासन की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि देश को उन पर गर्व है। राष्ट्रपति मुर्मू ने विश्वास जताया कि वे राष्ट्रपति भवन की सर्वोच्च परंपराओं को कायम रखने के लिए समर्पण, अनुशासन और बहादुरी के साथ काम करते रहेंगे और भारतीय सेना की अन्य रेजीमेंट के लिए आदर्श बनेंगे।
पीबीजी भारतीय सेना में सबसे पुरानी रेजीमेंट है जिसकी स्थापना 1773 में गवर्नर जनरल के अंगरक्षक (बाद में वायसराय के अंगरक्षक) के रूप में की गयी थी। भारत के राष्ट्रपति के अंगरक्षक होने के नाते उन्हें भारतीय सेना की एकमात्र ऐसी सैन्य इकाई होने की विशिष्टता प्राप्त है जिसे राष्ट्रपति के सिल्वर ट्रंपेट और ट्रंपेट बैनर रखने का विशेषाधिकार है।
पीबीजी को 1923 में पहली बार तत्कालीन वायसराय लॉर्ड रीडिंग ने उनको सेवा में 150 वर्ष पूरे होने के मौके पर यह विशेष सम्मान प्रदान किया था। इसके बाद सभी वायसराय ने अंगरक्षकों को सिल्वर ट्रंपेट और ट्रंपेट बैनर प्रदान किये। रेजीमेंट का नाम 27 जनवरी, 1950 को राष्ट्रपति के अंगरक्षक (पीबीजी) कर दिया गया। भारत के सभी राष्ट्रपतियों ने रेजीमेंट को सम्मानित करने की परंपरा को जारी रखा है।
Admin4
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