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रिस्क बेस इंस्पेक्शन के नाम पर फार्मा उद्योग टारगेट

Shantanu Roy
13 Sep 2023 10:00 AM GMT
रिस्क बेस इंस्पेक्शन के नाम पर फार्मा उद्योग टारगेट
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नाहन। हिमाचल प्रदेश फार्मा उद्योग से जुड़े उद्योगपति पिछले कुछ अरसे से रिस्क बेस इंस्पेक्शन के कारण परेशानी में है। भले ही यह इंस्पेक्शन सीडीएसओ और राज्य ड्रग अथॉरिटी के साथ मिलकर देश के लगभग सभी राज्यों में चलाया जा रहा है, बावजूद इसके हिमाचल प्रदेश इस प्रक्रिया के तहत हुए 64 ज्वाइंट इंस्पेक्शन में 38 उद्योगों पर कार्रवाई भी की गई है। गौर हो कि उत्तर प्रदेश, हरियाणा और गुजरात में भी कई ऐसे फार्मा उद्योग है, जो अभी भी पुराने ही पैरामीटर पर चल रहे है। बावजूद उसके वहां पर सूत्रों के मुताबिक फिलहाल शो-कॉज नोटिस के नाम पर लंबा टाइम भी दिया है। गौर हो कि केंद्र और राज्यों के साथ मिलकर दवा निर्माण की गुणवत्ता का डब्ल्यूएचओ के पैरामीटर के तहत बनाया जाना है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और सीडीएसओ का मानना है कि देश में बनाई जाने वाली दवाएं पब्लिक सेफ्टी और पब्लिक हैल्थ के अनुरूप होनी चाहिए। यही नहीं, जिन उद्योगों में इन दवाओं का निर्माण होता है उनके पैरामीटर भी डब्ल्यूएचओ के मानकों के अनुरूप होने चाहिए। जानकारी के मुताबिक जब सब-स्टैंडर्ड को लेकर सैंपल लिए जाते है, तो ऑल ओवर इंडिया की परसेंटेज में हिमाचल प्रदेश की परसेंटेज सिर्फ 1.5, जबकि देश स्तर पर यह 3.16 है। गौर हो कि हिमाचल प्रदेश ड्रग अथॉरिटी के निरीक्षण के तहत देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी प्रदेश की बनी दवाइयों की सबसे ज्यादा डिमांड भी रहती है। फार्मा उद्योग से जुड़े उद्योगपतियों का कहना है कि जब रिस्क बेस इंस्पेक्शन किया जा रहा है तो इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी को लेकर शो-कॉज नोटिस का समय भी एज पर रूल दिया जाना चाहिए। मगर प्रदेश में किए जा रहे है ज्वाइंट इंस्पेक्शन में फॉरेन कार्रवाई अमल में लाई जा रही है।
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