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परमाणु बम के जनक ओपेनहाइमर को नेहरू ने की थी भारतीय नागरिकता की पेशकश

Harrison
25 July 2023 11:40 AM GMT
परमाणु बम के जनक ओपेनहाइमर को नेहरू ने की थी भारतीय नागरिकता की पेशकश
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नई दिल्ली | मशहूर निर्देशक क्रिस्टोफर नोलन की 'ओपेनहाइमर' फिल्म रिलीज होते ही अमेरिकी वैज्ञानिक रॉबर्ट जे ओपेनहाइमर के जीवन में लोगों की दिलचस्पी बढ़ गई है. हाल ही में पब्लिश हुई एक किताब में वैज्ञानिक ओपेनहाइमर को लेकर दावा किया गया है कि उन्हें भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने भारतीय नागरिकता की पेशकश की थी. यह किताब प्रसिद्ध भारतीय पारसी लेखक बख्तियार के दादाभाई ने भारतीय वैज्ञानिक होमी जहांगीर भाभा के जीवन पर लिखी है.
किताब में अमेरिकी वैज्ञानिक ओपेनहाइमर और भाभा की दोस्ती का भी जिक्र किया गया है. दादाभाई की किताब 'होमी जे भाभा: ए लाइफ' में कहा गया है कि, "पूरी संभावना है कि द्वितीय विश्वयुद्ध समाप्त होने के बाद भाभा की मुलाकात ओपेनहाइमर से हुई, जिसके बाद दोनों अच्छे दोस्त बन गए. यह आश्चर्य की बात इसलिए भी नहीं थी, क्योंकि भाभा की तरह ओपेनहाइमर भी सभ्य इंसान थे. उन्होंने संस्कृत का अध्ययन किया था, साथ ही लैटिन और ग्रीक भाषा भी जानते थे."
ओपेनहाइमर ने जिन परमाणु बम को बनाया, उन्हें द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर गिरा दिया गया. उनके सहयोगी इतने शक्तिशाली बम को विकसित करने को लेकर नैतिक असमंजस में थे, तब ओपेनहाइमर ने कहा था कि वे सिर्फ अपना काम कर रहे हैं. हथियार का इस्तेमाल कैसे किया जाना चाहिए, इसका फैसला लेने की जिम्मेदारी उनकी नहीं है.
हालांकि, बाद में ओपेनहाइमर ने अपना रुख बदल लिया. उन्होंने इससे ज्यादा शक्तिशाली और एडवांस हथियार, खासतौर पर हाइड्रोजन बमों को विकसित करने के खिलाफ तर्क दिया था. यह रुख अपनाना उन्हें काफी भारी पड़ा और परिणामस्वरूप साल 1954 में अमेरिका की तत्कालीन सरकार ने ओपेनहाइमर की जांच के आदेश दिए और उनकी सुरक्षा मंजूरी भी छीन ली गई. जिसके बाद वे नीतिगत फैसलों में शामिल नहीं हो सकते थे. किताब के मुताबिक, इसी वक्त पीएम नेहरू ने उन्हें भारत की नागरिकता लेने की पेशकश की थी.
दादाभाई की किताब में इस बारे में कहा गया है कि, ''जब ओपेनहाइमर ने साल 1954 में अपनी सुरक्षा मंजूरी खो दी थी, तो भाभा के कहने पर भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें कई अवसरों पर भारत आने के लिए आमंत्रित किया था. साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने यह भी कहा था कि ओपेनहाइमर चाहें तो भारत आकर सकते हैं.
अमेरिकी वैज्ञानिक ओपेनहाइमर ने पीएम नेहरू की पेशकश को मना कर दिया था, क्योंकि उन्हें लगता था कि जब तक वे सभी आरोपों से मुक्त नहीं हो जाते हैं, तब तक उनके लिए अमेरिका को छोड़ना ठीक नहीं होगा. दादाभाई की किताब में कहा गया है कि, ''ओपेनहाइमर को डर था कि न सिर्फ अनुमति देने से इनकार कर दिया जाएगा, बल्कि इससे उनके बारे में सरकार का संदेह और ज्यादा बढ़ जाएगा.
वहीं 'ट्रेजडी ऑफ जे रॉबर्ट ओपेनहाइमर' किताब के सह-लेखक काई बर्ड ने हिंदुस्तान टाइम्स से बताया कि ओपेनहाइमर ने पूर्व पीएम जवाहरलाल नेहरू का ऑफर इसलिए स्वीकार नहीं किया था, क्योंकि वे एक देशभक्त अमेरिकी थे.
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