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नई दिल्ली । पिछले कुछ सालों में चीन का बर्ताव बिगैड़ल बच्चे की तरह रहा है। भारत जापान वियतनाम लाओस भूटान नेपाल...चीन का अपने तकरीबन हर पड़ोसी से सीमा विवाद है। इसका कारण उसका हठी और अड़ियल रवैया है। लेकिन चीन की किसी भी हिमाकत की सूरत में नकेल कसने के लिए भारत और जापान तैयार हैं। वह चीन ही है जिसकी वजह से दूसरे विश्व युद्ध के बाद पहली बार जापान बुद्ध का रास्ता छोड़ रहा। जापान ने अभी पिछले हफ्ते ही बड़े पैमाने पर अपनी सैन्य ताकत बढ़ाने को मंजूरी दी है। अब अगले महीने वह पहली बार भारत के साथ हवाई सैन्य अभ्यास वीर गार्जियन करने जा रहा। अभी इसी महीने भारत ने उत्तराखंड के औली में एलएसी के पास अमेरिका के साथ संयुक्त युद्धाभ्यास किया था जिससे चीन को मिर्ची लगी थी। अब फिर से चीन को मिर्ची लगने वली है।
दरअसल दूसरे विश्व युद्ध के बाद जापान ने 7 दशकों तक बुद्ध के शांति मार्ग को अपनाए रखा। जापान ने अपने डिफेंस बजट को जीडीपी के 1 प्रतिशत तक सीमित रखे रखा। सुरक्षा के लिए वह मोटे तौर पर अमेरिका पर निर्भर रहा। लेकिन चालबाज चीन और गैरजिम्मेदार उत्तर कोरिया जैसे पड़ोसियों ने जापान को आखिरकार अपनी सैन्य ताकत बढ़ाने पर मजबूर कर दिया। अब जापान ने आत्मरक्षा के लिए घातक मिसाइलों और आधुनिक हथियारों का जखीरा बढ़ाने का फैसला किया है। चीन के खतरे से निपटने के लिए उसने अगले 5 सालों में अपने रक्षा बजट को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। इसके साथ ही वह अमेरिका और चीन के बाद डिफेंस पर खर्च करने वाला तीसरा सबसे बड़ा देश बन जाएगा।
जापान धीरे-धीरे भारत के साथ अपने सैन्य रिश्तों को भी विस्तार दे रहा है। इसी कड़ी में अगले महीने वह पहली बार भारत के साथ जॉइंट एयर कॉम्बैट एक्सर्साइज करने जा रहा है। वीर गार्जियन नाम से यह संयुक्त हवाई युद्धाभ्यास जापान के ह्याकुरी और इरूमा एयर बेस पर 16 जनवरी से 26 जनवरी तक होना है। इसमें भारत की तरह से सुखोई-30 एमकेआई फाइटर जेट बीच हवा में ईंधन भरने वाले आईएल-78 स्ट्रैटजिक लिफ्ट एयरक्राफ्ट सी-17 ग्लोबमास्टर-3 के साथ-साथ इंडियन एयरफोर्स के 150 लड़ाके हिस्सा लेने वाले हैं। वहीं जापान की तरफ से इस एक्सर्साइज में एफ-2 और एफ-15 फाइटर जेट हिस्सा लेने वाले हैं।
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