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भारत ने करीब एक साल बाद अफगानिस्तान के साथ निलंबित राजनयिक संबधों को फिर से बहाल कर दिया है। काबुल में भारतीय दूतावास ने सोमवार, 15 अगस्त से अपने काम फिर से शुरू कर दिए हैं। तालिबान की ओर से अफगानिस्तान पर कब्जा जमाने जाने के बाद पिछले साल अगस्त में भारतीय दूतावास ने काबुल में अपने ऑफिस को निलंबित कर दिया था। वहीं, अधिकारी भी काबुल छोड़ दिए थे।
अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल कहार बल्खी ने इंडिया टुडे टीवी से बातचीत में कहा कि भारत के राजनियक वाणिज्य दूतावास में काम फिर से शुरू करने के उद्देश्य से 13 अगस्त को काबुल पहुंचे। हम भारतीय राजनयिकों का स्वागत करते हैं। उन्होंने अफगानिस्तान में पुरा सहयोग और सुरक्षा का आश्वासन दिया।
भारत से जताई यह उम्मीद
यह कहते हुए कि तालिबान के नेतृत्व वाली सरकार भारत सहित सभी पड़ोसी देशों के साथ अच्छे संबंध बनाने की इच्छुक है, बाल्खी ने कहा कि देश की ओर से शुरू की गई विभिन्न परियोजनाएं अफगानिस्तान में अधूरी हैं। हम उम्मीद करते हैं कि भारत अफगानिस्तान के विकास के लिए काम को फिर से शुरू करेगा।
चीनी सैन्य अड्डा बनाए जाने को किया खारिज
भारत की ओर से शुरू की गई परियोजनाओं की प्रगति पर एक प्रश्न का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, इंडिया की ओर से अफगानिस्तान में कई परियोजनाएं शुरू की गई हैं, कुछ आधी पूरी हो चुकी हैं और अन्य आधे से अधिक हैं। वहीं, चीन की ओर से अफगानिस्तान में सैन्य अड्डे के निर्माण की खबरों का खंडन करते हुए बाल्खी ने कहा कि तालिबान मंत्रिमंडल पड़ोसी देशों के साथ राजनयिक और आर्थिक संबंध बनाए रखना है। हम अपनी जमीन को राजनीतिक लक्ष्यों के लिए इस्तेमाल नहीं होने देंगे।
विदेश मंत्री ने कल दी थी जानकारी
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय राजनयिकों का एक दल अफगानिस्तान गया है और भारत पड़ोसी देश से अपने ऐतिहासिक संबंधों के मद्देनजर लोगों के बीच संबंधों को जारी रखेगा। इस दल में राजदूत शामिल नहीं हैं। जयशंकर ने कहा कि भारतीय राजनयिकों ने पिछले साल अगस्त में अफगानिस्तान के हालात को देखते हुए वहां स्थित दूतावास को छोड़ दिया था और अब राजनयिकों का एक बैच वापस गया है। विदेश मंत्री के अनुसार वहां नियुक्त अफगान कर्मी यथावत हैं और भारत उन्हें वेतन अदा करेगा।
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