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छठे वेतन आयोग के वित्तीय लाभ न देने के मामले में हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार से मांगा जवाब

Shantanu Roy
17 Sep 2023 9:33 AM GMT
छठे वेतन आयोग के वित्तीय लाभ न देने के मामले में हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार से मांगा जवाब
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शिमला। प्रदेश हाईकोर्ट ने छठे वेतन आयोग के वित्तीय लाभ न देने से जुड़े मामले में प्रदेश सरकार से जवाबतलब किया है। न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ ने सेवानिवृत्त शिक्षकों द्वारा दायर याचिकाओं की प्रारंभिक सुनवाई के पश्चात प्रदेश सरकार के वित्त सचिव सहित शिक्षा सचिव और हिमाचल प्रदेश महालेखाकार को नोटिस जारी किए। मामले पर सुनवाई 16 अक्तूबर को निर्धारित की गई है। प्रार्थियों ने आरोप लगाया है कि उन्हें छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक अभी तक कोई वित्तीय लाभ नहीं दिए। प्रार्थियों का कहना है कि प्रदेश सरकार ने 3 जनवरी, 2022 को संशोधित वेतनमान संबंधी नियम बनाए। इन नियमों के तहत सरकार ने छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को अपनाया और कर्मचारियों को 1 जनवरी, 2016 से यह लाभ देने की घोषणा की। प्रार्थियों का कहना है कि वे भी संशोधित वेतन मान की बकाया राशि पाने के हकदार हैं।
क्योंकि वे 1 जनवरी, 2016 के बाद सेवानिवृत्त हुए थे। 25 फरवरी, 2022 को सरकार ने पैंशन नियमों में संशोधन कर 1 जनवरी, 2016 के बाद सेवानिवृत्त होने वाले कर्मियों की डीसीआर ग्रैच्युटी की सीमा 10 लाख से 20 लाख कर दी थी। 17 सितम्बर, 2022 को सरकार ने कार्यालय ज्ञापन जारी कर वित्तीय लाभ देने के लिए किस्तें बनाईं जिसके अनुसार वित्तीय लाभों की बकाया राशि का भुगतान 5 किस्तों में करने का प्रावधान बनाया गया। प्रार्थियों का कहना है कि उनके वित्तीय लाभ किस्तों में देने का प्रावधान सरासर गलत है। सेवानिवृत्ति लाभ पाना उनका अधिकार है और सरकार ये लाभ देकर उन पर कोई एहसान नहीं कर रही है। सरकार को सेवानिवृत्त कर्मचारियों के वित्तीय लाभ किस्तों में देने की इजाजत नहीं दी जा सकती और वो भी बिना ब्याज के प्रार्थियों ने सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा कि जो कर्मचारी 1 जनवरी, 2016 से 31 जनवरी, 2022 के बीच सेवानिवृत्त हुए हैं उन्हें वित्तीय लाभ 5 किस्तों में और जो 1 मार्च, 2022 से बाद सेवानिवृत्त हुए हैं उन्हें सभी लाभों का बकाया एक साथ किया जा रहा है।
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